नई दिल्ली । कोरोना संक्रमण (Corona infection) की दूसरी लहर (The second wave) ने देश की स्वास्थ्य सुविधाएं किस तरह (Country health facilities have collapsed) चरमरा गई हैं, यह उसका बहुत ही मार्मिक दृष्य (Very poignant view) है। आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम (Andhra Pradesh Visakhapatnam) से बेहद ही दर्दनाक मामला (Very painful case) सामने आया है. शायद से इस कोरोना काल का सबसे दर्दनाक मामला ही होगा. एक मां अपने कोविड पॉजिटिव एक साल की बच्ची के लिए अस्पताल वालों से गुहार लगाती रही, लेकिन बेड की कमी की वजह से उसे अस्पताल ने भर्ती ही नहीं किया. नतीजा ये हुआ कि उस मासूम ने एंबुलेंस में ही दम तोड़ दिया और मां उसे देखती ही रह गई.
उक्त घटना विशाखापट्टनम के किंग जॉर्ज अस्पताल के बाहर की है. मंगलवार को एक परिवार अस्पताल पहुंचा. उनकी एक साल की बेटी की कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. बच्ची से सांस लेते भी नहीं बन रही थी. मां ने अस्पताल वालों से बच्ची को भर्ती करने की कितनी गुहार लगाई, लेकिन अस्पताल वालों ने बेड की कमी की वजह से बच्ची को भर्ती करने से मना कर दिया.
बच्ची एंबुलेंस में हांफ रही थी. उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. करीब एक घंटे तक मां गिड़गिड़ाती रही. लेकिन अस्पताल में उसे भर्ती नहीं किया गया. आखिरकार मासूम ने मां के सामने ही दम तोड़ दिया.
किंग जॉर्ज अस्पताल 150 साल से भी ज्यादा पुराना है और आंध्र प्रदेश का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है. लेकिन इस अस्पताल ने भी बेड की कमी की वजह से बच्ची को भर्ती करने से मना कर दिया. मासूम की मौत ने आंध्र प्रदेश के हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
गौरतलब है कि हाल ही में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए ऑक्सीजन के स्टॉक के बारे में पूछा था कि सरकार ने ऑक्सीजन का प्रोडक्शन बढ़ाया है या नहीं. इसके साथ ही कोर्ट ने ये आइसोलेशन वार्ड के बारे में भी जानकारी मांगी थी.
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