नई दिल्ली । टूलकिट मामले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे इस मामले में नए तथ्य सामने आ रहे हैं। दिल्ली पुलिस अधिकारियों का कहना है कि जांच के दौरान पता चला है कि 20 जनवरी को टूलकिट का ड्राफ्ट फाइलन हो गया था। 23 जनवरी को ड्राफ्ट की फाइनल कॉपी निकिता के पास आ चुकी थी। इससे पहले कई बार जूम पर मीटिंग कर इसका मसौदा तैयार किया गया।
पुलिस ने मैरिना पेटरसन नामक एक महिला के नाम का खुलासा किया। यूके की रहने वाली महिला पाएटिक जस्टिस फाउंडेशन से जुड़ी हुई है। टूलकिट ड्राफ्ट कराने में इसकी भी भूमिका सामने आई है। वहीं एक अन्य महिला थिलाका का भी नाम सामने आया है। वह एक्सआर नामक एनजीओ से जुड़ी होने के अलावा पीजेएफ से जुड़ी पुनीत की करीबी है।
जांच कर रहे अधिकारियों का कहना है कि सभी ज्यादातर एक-दूसरे से वीपीएन नेटवर्क प्रोटोन, टेलीग्राम और सिग्नल के जरिये ही जुड़ते थे। कुछ मामलों में इनके व्हाट्सऐप से चैट का पता चला है।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि नवंबर के आखिरी सप्ताह में किसान आंदोलन की शुरुआत होते ही टूलकिट के निर्माण की प्लानिंग शुरू हो गई थी। इसके लिए पीजेएफ की पुनीत ने -फ्राइडे फॉर फ्यूचर-के साथ काम करने वाली निकिता और दिशा का पता लगाया। शांतनु इनके साथ एक्सआर एनजीओ से जुड़ा था। टूलकिट तैयार करने के लिए एक दिसंबर को पुनीत ने इंस्टाग्राम के जरिये तीनों से संपर्क किया। इसके बाद दिशा ने 6 दिसंबर को एक व्हाट्सऐप ग्रुप बना लिया। सभी एक-दूसरे से जुड़े रहे और टूलकिट के बारे में बातचीत करते रहे। 3 जनवरी से टूलकिट के लिए काम शुरू हो गया। 9 जनवरी को तय किया गया कि ग्लोबल डे ऑफ एक्शन आंदोलन टूलकिट के जरिये होगा। 11 जनवरी को एक ईमेल आईडी बनाई गई। 11 जनवरी को ही जूम पर मीटिंग हुई। जिसमें सभी लोग शामिल हुए। 12 जनवरी को दोबारा जूम पर मिटिंग बुलाई गई। इसमें ग्लोबल डे ऑफ एक्शन के लिए मसौदा तय हुआ। बाद में 17 और 18 जनवरी को एक बार फिर जूम पर मीटिंग हुई। 18 जनवरी को ही एक साइट askindiawhy.com लॉच की। 20 जनवरी को दिशा, निकिता और शांतनु ने टूलकिट को ड्राफ्ट किया। बाद में 23 जनवरी को पीजेएफ ने फाइनल टूलकिट निकिता को सौंप दिया।
26 जनवरी को ग्लोबल डे ऑफ एक्शन के लिए काम शुरू कर दिया गया। पीजेएफ से जुड़ी मैरिना पेटरसन ने 31 जनवरी को दोबारा निकिता और शांतनु को टूलकिट एडिट करने के लिए दी। इसमें कहा कि आंसू गैस और गोले चलने की बात भी वह इसमें शामिल करें। मैरिना धालीवाल पीजेएफ में मैनेजर है। टूलकिट को लेकर इन लोगों ने मार्च तक की प्लानिंग की हुई थी। लेकिन संयोग से ग्रेटा थनबर्ग ने गलती से उसे ट्वीटर पर शेयर कर दिया तो सारा राज खुल गया। पुलिस अब मामले में दिशा, निकिता और शांतनु के बैंक अकाउंट की जांच भी करने की तैयारी कर रही है। उनके पिछले एक साल के बैंक अकाउंट की डिटेल खंगाली जाएगी। टूलकिट मामले की फंडिंग किसने की, यह सब जांच के बाद ही साफ हो पाएगा।
पिछले साल उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा से जोड़कर भी जांच करेगी पुलिस
सीएए के विरोध और समर्थन में पिछले साल फरवरी में हुई हिंसा के बाद सोशल मीडिया पर ठीक इसी तरह की पुलिस आशंका जता रही है। उस समय हिंसा के दौरान झूठी खबरें फैलाकर दंगा भड़काने की साजिश रची गई। पूरी दिल्ली में डर का माहौल पैदा हो गया। पुलिस उसको भी इस तरह की टूलकिट से ही जोड़कर देख रही है। किसान आंदोलन के दौरान सिख फॉर जस्टिस और पाएटिक जस्टिस फाउंडेशन की भूमिका सामने आई है। हालांकि पिछले साल आरोपी अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाए थे। मौजूदा टूलकिट में एक फरवरी को लेकर भी प्लानिंग का जिक्र था।
शांतनु ने युवाओं से करवाए वीडियो और फोटो शेयर
जांच के दौरान पुलिस को पता चला है कि शांतनु 20 से 27 जनवरी के बीच टीकरी बॉर्डर पर था। वह तीन से पांच घंटे का समय बॉर्डर पर बिताकर युवाओं के संपर्क में रहता था। यहां वह उनको वीडियो और फोटो भेजकर ज्यादा से ज्यादा शेयर करने के लिए कहता था। 26 जनवरी को हुई हिंसा के बाद अगले दिन वह वापस पुणे लौट गया। पुलिस का कहना है कि शांतनु से पूछताछ के बाद ही आगे की जांच हो पाएगी।
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