उज्जैन। कल महााकाल की पहली सवारी में भीड़ इतनी अधिक थी कि कहारों द्वारा महाकाल की पालकी को ठीक ढंग से उठाकर चलना मुश्किल हो रहा था और कई बार तो भीड़ का दबाव ऐसा आया कि उनके पैर उखड़ गए लेकिन कोई अनहोनी नहीं हुई। गुदरी से छत्रीचौक के बीच जरूरी हो गया है कि बेरिकेटिंग की जाए नहीं तो हादसा होगा। बाबा महाकाल की कल सावन मास की प्रथम सवारी निकली लेकिन इस दौरान कई जगह व्यवस्थाएं भी दिखी। जिसे अगली सवारी के दौरान सुधारना जरूरी है नहीं तो कोई हादसा हो सकता है। कल भी पालकी गिरते-गिरते बची। कोरोना की लहर के बाद ठीक 2 साल बाद कल जब परंपरागत मार्ग से सवारी निकली तो पूरे मार्ग पर शाही सवारी जैसी भीड़ थी। इस दौरान कई जगह अव्यवस्थाएं भी हुई।
जब पालकी गुदरी चौराहे से महाकाल घाटी की ओर जा रही थी, उस दौरान यहाँ बैरिकेडिंग नहीं होने के कारण सड़क के दोनों किनारे पर खड़ी भीड़ पालकी को घेरने लगी और एक समय ऐसा आया कि करीब 20 से 25 लोग पालकी पर ही झूम गए। बड़ी मुश्किल से पुलिस को इन लोगों को हटाना पड़ा। पालकी पूरी एक और झुक गई थी और पार्टी उठाने वाले कहारों को भी बहुत मेहनत करना पड़ रही थी। भीड़ में से कुछ लोग पालकी के फूल तोडऩे लगे थे और कुछ पालकी को पकडऩे लग गए थे, ऐसे में पालकी गिर भी सकती थी लेकिन जैसे-तैसे पुलिस ने मामला संभाला और पालकी को महाकाल घाटी की ओर ले गए। ऐसी ही व्यवस्था है हरसिद्धि की पाल और अन्य स्थानों पर बनी। अगली सवारी में पुलिस को इन स्थानों पर बैरिकेडिंग करना होगी, नहीं तो कोई बड़ा हादसा हो सकता है। जरूरी है कि भीड़ प्रबंधन किया जाए और पूरे मार्ग पर बेरिकेट्स लगाए जाए।
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