यह है कजरी तीज का शुभ मुहूर्त
– तृतीया तिथि प्रारंभ- सुबह 10 बजकर 50 मिनट से 6 अगस्त
– तृतीया तिथि समाप्त – रात 12 बजकर 14 मिनट तक 7 अगस्त
इंदौर। कजरी-सातुड़ी तीज 6 अगस्त को मनायी जाएगी। हर साल यह पर्व भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाया जाता है यह तीज का सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष महत्व है। इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए निर्जल व्रत रखती हैं। कजरी तीज को बूढ़ी तीज व सातूड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है।
हरियाली तीज की तरह ही कजरी तीज का पर्व भी महिलाओं के लिए बहुत खास होता है। भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की तृतीया को कजरी तीज का त्योहार मनाया जाता है। यह पर्व उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान सहित कई राज्यों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसे कजली तीजए बूढ़ी तीज या सातूड़ी तीज भी कहा जाता है। जिस तरह से हरियाली तीज, हरतालिका तीज का पर्व महिलाओं को लिए बहुत मायने रखता है। उसी तरह कजरी तीज भी सुहागन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण त्योहार है। माहेश्वरी समाज की कनक साबू ने बताया की इस दिन सुहागनें वैवाहिक जीवन की सुख और समृद्धि के लिए यह व्रत रखती हैं। कहा जाता है कि इस दिन कन्या या सुहागनें पूरे श्रद्धा से अगर शिव भगवान और माता पार्वती की पूजा करती हैं, तो उन्हें अच्छा जीवनसाथी और सदा सौभाग्यवती होने का वरदान प्राप्त होता है। माना जाता है कि इस दिन मां पार्वती ने शिव जी को अपनी कठोर तपस्या के बाद प्राप्त किया था। मान्यता है कि कजली तीज के मौके पर विशेष रूप से गौरी की पूजा करें। व्यक्ति की कुंडली में चाहे कितने ही बाधा, क्यों न हों, इस दिन की पूजा से वे नष्ट किए जा सकते हैं। इस व्रत को करने से माता पार्वती एवं भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
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