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    कल है सावन महीनें की शिवरात्रि, भगवान शिव को प्रसन्‍न करने के लिए इस तरह करें पूजा

  • August 05, 2021

    सावन का महीना बेहद पावन व शुभ माना जाता है । यह माह भोलेनाथ (Bholenath) को समर्पित होता है। इस माह में विधि- विधान से भोलेनाथ की पूजा- अर्चना की जाती है। हर माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। सावन के माह में पड़ने वाली मासिक शिवरात्रि (Monthly Shivratri) का महत्व बहुत अधिक होता है। इस बार सावन महीनें में कल यानि 6 अगस्‍त को पड़ रही है मासिक शिवरात्रि तो आइए जानते हैं सावन शिवरात्रि डे, पूजा- विधि, शुभ मुहूर्त महत्‍व के बारें में…..

    सावन शिवरात्रि मुहूर्त-
    सावन मास चतुर्दशी तिथि प्रारंभ- 06 अगस्त, शाम 06 बजकर 28 मिनट से
    सावन मास चतुर्दशी तिथि समाप्त- 07 अगस्त की शाम 07 बजकर 11 मिनट पर

    व्रत पारण का समय-
    07 अगस्त, दिन शनिवार की सुबह 05 बजकर 46 मिनट से दोपहर 03 बजकर 45 मिनट तक है।

    प्रदोष व्रत पूजा विधि
    प्रदोष व्रत में भगवान शिव (Lord Shiva) और विष्णु भगवान की पूजा की जाती है। गुरु प्रदोष के दिन नहा धोकर साफ हल्के पीले या गुलाबी कपड़े पहने। केले के पेड़ के नीचे गाय के घी का दीया जलाकर विष्णु भगवान के 108 नामों का जाप करें। सारा दिन भगवान शिव के मन्त्र ऊं नमः शिवाय और नारायण (Narayan) मन ही मन जाप करते रहे और निराहार रहें। शाम के समय प्रदोष काल मे भगवान शिव को पंचामृत से स्न्नान कराएं। इसके बाद शुद्ध जल से स्न्नान कराकर रोली मौली चावल धूप दीप से से पूजन करें। भगवान शिव को साबुत चावल की खीर और भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को पीले फल-फूल अर्पण करें।

    गुरु प्रदोष व्रत का महत्व
    गुरु को ज्ञान और सौभाग्य का कारक माना गया है जिसके कारण सभी मांगलिक कामों में गुरु की प्रधानता रहती हैं। गुरु प्रदोष व्रत करने से सुख-सौभाग्य (good luck) का वरदान मिलता है। कन्याओं के विवाह में गुरु का आशीर्वाद सौभाग्य को बढ़ाता है। एक पीले आसन पर बैठकर पूर्व दिशा की तरफ मुंह करें एक हल्दी की माला से बृहस्पति (Jupiter) के मंत्रों का जाप करें। जरूरतमंद लोगों को पीला कपड़ा पीली मिठाई चने की दाल हल्दी गुड़ आदि का दान करने से दाम्पत्य जीवन की परेशानियां खत्म होती हैं।


    शिव पूजा- सामग्री
    पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती (Maa Parvati) की श्रृंगार की सामग्री आदि।

    नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।

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