साल 2020 का आखिरी सूर्यग्रहण 14 दिसंबर 2020 को शाम 7 बजकर 4 मिनट से मध्य रात्रि रात 12 बजकर 23 मिनट तक (भारतीय समयानुसार) लगने वाला है। यह सूर्यग्रहण यूं तो भारत में दिखेगा नहीं क्योंकि ग्रहण के दौरान भारत में रात का समय होगा। लेकिन ग्रहण का प्रभाव ना केवल दुनिया के विभिन्न देशों पर होगा बल्कि यह भारत के लिए भी बहुत ही महत्वपूर्ण रहेगा। इससे भारत की राजधानी दिल्ली और एनसीआर पर खास असर दिखेगा।
ज्योतिषशास्त्री सचिन मल्होत्रा बताते हैं कि, मेदिनी ज्योतिष के ग्रंथ भविष्यफल भास्कर में दिल्ली, जिसे प्राचीन समय में इंद्रप्रस्थ कहा जाता था, इसकी प्रभाव राशि वृश्चिक बतायी गई है। वृश्चिक राशि में पाप ग्रहों का गोचर देश की राजधानी दिल्ली-एनसीआर के लिए शुभ फलदायी नहीं होता है।
14 दिसंबर का सूर्यग्रहण
यह ग्रहण 14 दिसंबर, सोमवार को लगेगा। भारतीय समयानुसार इस ग्रहण का समय शाम 7 बजकर 3 मिनट से आरंभ होगा और इसकी समाप्ति मध्यरात्रि में यानी 15 दिसंबर की रात 12 बजकर 23 मिनट पर होगी। इस ग्रहण की कुल अवधि 5 घंटे की रहेगी। तिथि अनुसार यह ग्रहण अगहन कृष्ण अमावस्या को घटित होगा। यह खंडग्रास प्रकार का ग्रहण होगा एवं यह भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इसकी धार्मिक एवं ज्योतिष मान्यता नहीं है।
चूंकि ग्रहण की छाया भारत में दृश्य नहीं है तो इसका कोई धार्मिक महत्व नहीं है लेकिन वृश्चिक राशि में सूर्य के पीड़ित होने साथ सूर्य की संक्रांति भी ग्रहण के कुछ समय बाद होने जा रहा है। ऐसे में यह ग्रहण बड़े राजनेताओं के लिए शुभ नहीं है।
जानें ग्रहण के दौरान क्या नहीं करना चाहिए
ग्रहण के दौरान सूई, कील, तलवार और चाकू जैसी नुकीली वस्तुओं का इस्तेमाल न करें. ग्रहण के समय खाना खाना, बनाना, सब्जी काटना, आसमान के नीचे खड़े होना और दीपक जलाकर पूजा आदि नहीं करना चाहिए।
कैसे लगता है सूर्यग्रहण
जब पृथ्वी व सूर्य के बीच चंद्रमा आ जाता है, तब सूर्यग्रहण लगता है। ग्रहण का मानवी जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ग्रहण के दौरान सूर्य के आंशिक रूप से ढंक जाने पर खंडग्रास लगता है। इस बार सूर्यग्रहण रात में लग रहा है, भारत में यह नहीं दिखेगा। सौर विज्ञानियों के मुताबिक सूर्यग्रहण को कभी नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए।
सूतक काल में बचकर रहें
इस बार सूर्यग्रहण का स्पर्शकाल शाम 7 बजकर 4 मिनट है। मध्यकाल 9 बजकर 45 मिनट, सम्मिलन काल 8 बजकर 2 मिनट, मोक्षकाल और ग्रहण की समाप्ति का समय रात 12 बजकर 23 मिनट बताया गया है। इस ग्रहण का असर प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, अमेरिका, अफ्रीका, अटलांटिक और अंटार्कटिका के वृहद इलाके में पड़ेगा। सूतक काल में भोजन करना, सोना प्रतिबंधित है। इस समय ईश्वर और अपने इष्टदेव की प्रार्थना करनी चाहिए।
सूतक मान्य नहीं इसलिए पूजा-पाठ पर असर नहीं
ज्योतिषियों के मुताबिक, इस साल का पहला सूर्यग्रहण 21 जून को लगा था। ज्योतिषियों ने बताया कि 14 दिसंबर का सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा और इसी वजह से इसका सूतक भी मान्य नहीं होगा। यानी धर्म-कर्म और पूजा-पाठ पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। लोग सामान्य दिना की तरह घर-मंदिर में भगवान की पूजा कर सकते हैं। गौरतलब है कि ग्रहण काल में मंदिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं। किसी तरह का शुभ कार्य करना भी वर्जित माना गया है।
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