इंदौर, राजेश ज्वेल। अरबों की वक्फ जमीनों पर हुए भू-घोटालों (Geo-scams) का सिलसिलेवार खुलासा अग्निबाण कर रहा है, जिसके चलते 200 करोड़ रुपए मूल्य की एक बेशकीमती जमीन पर अवैध रूप से बेचे गए 13 भूखंडों को आज दोपहर में प्रशासन अपने कब्जे में लेगा। होटल श्रीमाया के पीछे मौजूद पार्क एवेन्यू कॉलोनी में वक्फ जमीन पर हुए खेल का भंडाफोड़ तीन दिन पहले ही अग्निबाण ने किया, जिस पर कलेक्टर आशीष सिंह ने इस पूरे मामले की जांच करवाई और खबर की सत्यता साबित होने पर आज दोपहर इस वक्फ जमीन को मुक्त कराने का निर्णय भी लिया। कलेक्टर द्वारा अन्य वक्फ जमीनों की जांच भी कराई जा रही है और मुस्लिम समाज के प्रतिनिधि मंडल ने भी शहरकाजी के साथ पिछले दिनों उनसे मुलाकात की थी।
एबी रोड पर होटल श्रीमाया के पीछे सीमेंट पोल फैक्ट्री की 20 एकड़ जमीन पर जमीनी जादूगरों ने अपना खेल दिखाया और अवैध पार्क एवेन्यू कॉलोनी काट दी, जिसमें पीर स्थान यानी वक्फ सम्पत्ति को भी नहीं छोड़ा। छोटी खजरानी के खसरा नम्बर 370 की 2.14 एकड़ जमीन को पार्क एवेन्यू में शामिल करते हुए 13 भूखंड बड़े आकार के काटकर रसूखदारों को बेच डाले। वर्तमान में 15 से 20 हजार रुपए स्क्वेयर फीट से अधिक जमीन का भाव है, जिसके चलते एक लाख स्क्वेयर फीट इस वक्फ जमीन पर कटे भूखंडों की कीमत 200 करोड़ रुपए से कम नहीं है। कलेक्टर आशीष सिंह ने वक्फ जमीन पर हुए इस भू-घोटाले की जांच एसडीएम जूनी इंदौर घनश्याम धनगर से करवाई और धनगर ने राजस्व अमले को मौके पर भी भेजा, जिसमें यह पाया गया कि उक्त जमीन श्री पीर स्थान की नामी व्यवस्थापक कलेक्टर इंदौर शासकीय नाम पर दर्ज है और पार्क एवेन्यू कॉलोनी अशोक भाई गुजराती ने 30 साल पहले काटी और उसके 13 प्लॉट खसरा नम्बर 370 वक्फ जमीन पर काबिज पाए गए हैं।
कलेक्टर द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि उक्त जमीन पर अवैध कब्जे की शिकायत पूर्व में भी वक्फ बोर्ड को मिलती रही और इस संबंध में वक्फिया सम्पत्ति क्रय-विक्रय ना होने संबंधित जाहिर सूचना का भी प्रकाशन करवाया गया, लेकिन उक्त जमीन 1960 में अशोक भाई पटेल को मुआवजा राशि 2294 में बेच दी गई, लेकिन उक्त जमीन मुजाबिर सुबराती को कहां से प्राप्त हुई उसका कहीं कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। वक्फ बोर्ड ने भी अशोक पटेल को जो नोटिस दिया उसमें उन्होंने स्वीकार किया कि इस जमीन पर कई लोगों को भूखंड बेचे जा चुके हैं और अब वह जमीन उन्हें आबंटित कर दी जाए। हालांकि प्रशासन ने कभी भी उक्त जमीन के संबंध में कोई निर्णय नहीं लिया और चूंकि 13 भूखंड अवैध रूप से वितरित वक्फ जमीन पर किए गए। लिहाजा उन्हें आज कब्जे में प्रशासन द्वारा लिया जा रहा है। कलेक्टर आशीष सिंह के मुताबिक छोटी खजरानी की इस वक्फ जमीन के अलावा अन्य जमीनों की भी जांच करवाई जा रही है।
पिछले दिनों भी निपानिया स्थित लगभग 100 करोड़ रुपए की जमीन को इसी तरह मुक्त करवाया गया था। उसी कड़ी में ग्राम खजरानी की खसरा नम्बर 370 की जमीन को भी प्रशासन अपने कब्जे में लेकर बकायदा वहां पर एक बड़ा सूचना बोर्ड भी लगवा रहा है। उल्लेखनीय है कि जमीनी जादूगरों ने इस 2.14 एकड़ वक्फ जमीन पर 13 भूखंड अवैध रूप से बेच डाले, जो कि रसूखदारों के कब्जे में है, जिसमें भूखंड क्रमांक 33 गिरीश मतलानी, भूखंड क्रमांक 34 शीलादेवी मतलानी, भूखंड क्रमांक 35 कांति माखिजा, भूखंड क्रमांक 36 सूजय गिरीश नायक, भूखंड क्रमांक 37 अनिता जगदीश मनसुखनी, भूखंड क्रमांक 52 दीपा मनसुखानी, भूखंड क्रमांक 53 दीपा राजू वाधवानी, भूखंड क्रमांक 54 कमला माखीजा, भूखंड क्रमांक 55 रेखा गिरीश नायक, भूखंड क्रमांक 56 राजू मंगलानी और सोनिया मंगलानी, भूखंड क्रमांक 57 मदनलाल शर्मा, भूखंड क्रमांक 58 भारत अमृतलाल डोसी और भूखंड क्रमांक 59 सुनील जैन को बेचा गया। 3115 स्क्वेयर फीट से लेकर 3432, 4814, 5361 से लेकर 8049 स्क्वेयर फीट तक के बड़े आकार के ये भूखंड हैं, जिनका बाजार मूल्य 200 करोड़ रुपए से कम नहीं है। इतना ही नहीं, उक्त सीमेंट पोल फैक्ट्री की पूरी जमीन पूर्व में प्राधिकरण की योजना 54 में, और उसके बाद योजना क्रमांक 150 में शामिल रही। प्राधिकरण का भी खुद का सवा लाख स्क्वेयर फीट का विशाल भूखंड यहां मौजूद है, जिस पर कुछ वर्ष पूर्व आधुनिक प्राधिकरण भवन बनाने का निर्णय भी हुआ था। मगर योजना ठंडे बस्ते में चली गई। इतना ही नहीं, प्राधिकरण ने संकल्प क्रमांक 170 और संकल्प क्रमांक 222 के जरिए इस जमीन पर पूर्व में जारी निजी विकास की अनुमति भी निरस्त करते हुए कब्जा लेने की प्रक्रिया शुरू की थी। मगर बाद में हाईकोर्ट से स्टे के चलते यह कार्रवाई भी नहीं हो सकी। अलबत्ता वक्फ जमीन को आज अवश्य प्रशासन मुक्त कराकर अपने कब्जे में ले लेगा।
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