गंगानगर (Ganganagar) । माघ मास की पूर्णिमा (Magh Purnima 2024) आज 24 फरवरी शनिवार को शुभ योगों में मनेगी। आज ही माघ महीने व प्रयागराज (Prayagraj) में चल रहे कल्पवास (Kalpavas) का समापन होगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन स्वयं देवता पृथ्वी पर मनुष्य के रूप में प्रयागराज संगम में स्नान, दान करने आते हैं। पूर्णिमा के दिन मघा नक्षत्र और गजकेसरी योग रहेगा, जो अत्यंत शुभ फलदायी होता है। इसे राजयोग की तरह माना जाता है। माघ पूर्णिमा पर इस बार मंगल और शुक्र का समायोग होगा, यानी दोनों ग्रह काफी नजदीक दिखाई देंगे। इस दिन मां लक्ष्मी, भगवान विष्णु और चंद्रमा की पूजा करना सुख-समृद्धिदायक होता है। भगवान सत्यनारायण की कथा व पवित्र नदियों में दीपदान करने का भी विशेष फल प्राप्त होता है। मान्यता ये भी है कि माघ पूर्णिमा पर पड़ने वाले शुभ योगों में जो भी कार्य किए जाएंगे, उनमें सफलता प्राप्त होगी।
माघ पूर्णिमा की धार्मिक मान्यता है कि इस दिन देवता प्रयागराज के पवित्र त्रिवेणी में स्नान और दान करते हैं। जिससे मनोकामनाएं पूर्ण होने के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन मंदिरों व घरों में श्री सत्यनारायण की कथा सुनकर व्रत रखने का विधान है।
पूर्णिमा 24 को सायं 4:57 बजे होगी समाप्त
ज्योतिष विशेषज्ञ पं ध्रुव कुमार शास्त्री ने बताया कि माघ पूर्णिमा 23 फरवरी को दोपहर 3:02 बजे से आरंभ होगी, जो 24 फरवरी की शाम 4:57 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार माघ पूर्णिमा 24 फरवरी को मनाई जाएगी। स्नान-दान का शुभ मुहूर्त भोर 4.51 बजे से सायं 4.57 बजे तक है।
राजयोग की शुभता
माघ पूर्णिमा के दिन चंद्रमा सिंह और बृहस्पति मेष राशि में रहेंगे। इससे इनका परस्पर दृष्टि संबंध रहने से गजकेसरी योग बनेगा। यह योग काफी शुभ माना गया है। यह राजयोग जैसा होता है।
पूजन का शुभ मुहूर्त
स्नान-दान मुहूर्त : प्रातः काल 04.50 बजे से 04.57 बजे तक स्नान, दान का श्रेष्ठ मुहूर्त।
श्री सत्यनारायण पूजा : सूर्योदय से दोपहर 2:30 बजे तक।
व्रत और पूजा विधि
माघ पूर्णिमा पर स्नान, दान, हवन, व्रत और जप किए जाते हैं।भगवान विष्णु का पूजन पितरों का श्राद्ध और गरीब व्यक्तियों को तिल,पात्र ,ऊनी वस्त्र व कम्बल का दान देना चाहिए। ऐसा करने से व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
कल्पवास का होगा समापन
प्रयागराज के संगम तट पर कल्पवास का समापन माघ पूर्णिमा के दिन स्नान के साथ होता है। माघ मास में कल्पवास की बड़ी महिमा बताई गई है। इस माह गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती व अन्य पवित्र नदियों के तट पर निवास को कल्पवास कहते हैं। कल्पवास का अर्थ है पवित्र नदी के तट पर निवास कर वेद पुराण का वाचन और ध्यान करना है।
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