इन्दौर। पीथमपुर में बनने वाले मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क (एमएमएलपी) के लिए अधिग्रहित जमीन के बदले मुआवजा बांटने की प्रक्रिया का आज आखिरी दिन है। धार जिला प्रशासन ने कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद प्रभावित किसानों और जमीन मालिकों को मुआवजा लेने के लिए 4 नवंबर तक का समय दिया था, जो सोमवार को पूरा हो रहा है। उसके बाद बची राशि कोर्ट में जमा करा दी जाएगी और वहीं से वितरण होगा।
कोर्ट ने पिछले महीने एमएमएलपी के निर्माण का रास्ता साफ करते हुए किसानों और जमीन मालिकों को अधिग्रहित जमीन का मुआवजा देने के आदेश दिए थे। इसके बाद धार जिला प्रशासन ने प्रभावितों को मुआवजा देने के लिए 4 नवंबर तक का समय दिया था। हालांकि, अभी यह साफ नहीं हुआ है कि अब तक कितने प्रभावितों ने मुआवजा लिया है और कितने बचे हैं। करीब एक-डेढ़ साल से एमएमएलपी की जमीन का मामला उलझा हुआ है। जमीन नहीं मिलने के कारण कांट्रेक्टर कंपनी प्रोजेक्ट का काम शुरू नहीं कर पा रही है। कोर्ट से मामला निराकृत होने के बाद अब इस दिशा में तेजी से काम करने की तैयारी हो रही है।
दो साल में बनेगा
करीब 1100 करोड़ रुपए का एमएमएलपी बनने से पीथमपुर का महत्व राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ेगा। कांट्रेक्टर कंपनी को दो साल में मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क बनाकर देना होगा। पार्क में क्लोज वेयर हाउस, ओपन वेयर हाउस, कोल्ड स्टोरेज और अन्य तरह की व्यावसायिक गतिविधियां संचालित की जाएंगी।
कंपनी ने पूरा कर लिया सर्वे
पीथमपुर समेत देशभर में बनाए जा रहे एमएमएलपी के लिए अलग से कंपनी बना दी है, जिसका नाम नेशनल हाईवेज लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लि. रखा गया है। इंदौर में कंपनी के प्रभारी रवींद्र गुप्ता ने बताया कि एमएमएलपी के लिए जरूरी 103 हेक्टेयर जमीन में से 47 हेक्टेयर पहले ही मिल चुकी है। कोर्ट से स्टे हटने के बाद बची जमीन लेने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। धार जिला प्रशासन ने मुआवजा लेने के लिए 4 नवंबर तक का समय दिया था, जो सोमवार को पूरा हो रहा है।
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