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आज है सावन का पहला मंगलगौरी व्रत, इस तरह करें पूजा, मां पार्वती का मिलेगा आर्शीवाद

July 19, 2022

नई दिल्ली। सावन मास (Sawan month) को भगवान शंकर व माता पार्वती की पूजा-अर्चना के लिए सर्वश्रेष्ठ माह माना जाता है। इस साल सावन का महीना (month of sawan) 14 जुलाई से आरंभ हुआ है, जो कि 12 अगस्त तक रहेगा। आज 19 जुलाई को सावन का पहला मंगलवार है। सावन मास के सोमवार के साथ मंगलवार व्रत का भी महत्व है। हिंदू धर्म में सावन के मंगलवार को मंगला गौरी व्रत (Mangala Gauri Vrat) किया जाता है। कहा जाता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन (married life) से जुड़ी समस्याएं खत्म होती हैं और संतान सुख (child happiness) की प्राप्ति होती है। इस साल सावन का पहला मंगला गौरी व्रत 19 जुलाई यानी आज है।

आज के शुभ मुहूर्त-
अभिजित मुहूर्त- 12:00 पी एम से 12:55 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 07:06 पी एम से 07:30 पी एम
अमृत काल- 07:26 ए एम से 09:01 ए एम
सर्वार्थ सिद्धि योग- 05:35 ए एम से 12:12 पी एम
रवि योग- 05:35 ए एम से 12:12 पी एम



मंगला गौरी व्रत महत्व-
मंगला गौरी व्रत को सुहागिनों के लिए खास माना गया है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से सुहागिनों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही पति को दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार, इस व्रत को शुरू करने के बाद कम से कम पांच तक रखा जाता है। हर साल सावन में 4 या 5 मंगलवार पड़ते हैं। सावन के आखिरी मंगला गौरी व्रत को उद्यापन का विधान है।

मंगला गौरी पूजा विधि-
इस दिन सूर्योदय से पूर्व उठें।
निवृत्त होकर साफ-सुधरे वस्त्र धारण करें।
इस दिन एक ही बार अन्न ग्रहण करके पूरे दिन माता पार्वती की अराधना करनी चाहिए।
चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां मंगला यानी माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें।
अब विधि-विधान से माता पार्वती (Mother Parvati) की पूजा करें।

मंगला गौरी व्रत कथा-
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में धर्मपाल नामक एक सेठ था। वह भोलेनाथ का सच्चा भक्त था। उसके पैसों की कोई कमी नहीं थी। लेकिन उसके कोई पुत्र न होने के कारण वह परेशान रहता था। कुछ समय बाद महादेव की कृपा से उसे पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। लेकिन ये पहले से तय था कि 16 वर्ष की अवस्था में उस बच्चे की सांप के काटने से मृत्यु हो जाएगी। सेठ धर्मपाल ने अपने बेटे की शादी 16 वर्ष की अवस्था के पहले ही कर दी। जिस युवती से उसकी शादी हुई. वो पहले से मंगला गौरी का व्रत करती थी। व्रत के फल स्वरूप उस महिला की पुत्री के जीवन में कभी वैधव्य दुख नहीं आ सकता था. मंगला गौरी के व्रत के प्रभाव से धर्मपाल के पुत्र के सिर से उसकी मृत्यु का साया हट गया और उसकी आयु 100 वर्ष हो गई। इसके बाद दोनों पति पत्नी ने खुशी-खुशी पूरा जीवन व्यतीत किया।

नोट- उपरोक्‍त दी गई जानकारियां सिर्फ सामान्‍य सूचना के लिए है हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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