हिंदु कैलेंडर के अनुसार आज यानि 25 अगस्त को कजरी तीज (Kajari Teej ) का व्रत मनाया जा रहा है। ये त्योहार भाद्रपद में कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। हरियाली तीज (Hariyali Teej) के बाद कजरी तीज का व्रत सुहागिनों के लिए बेहद खास होता है। इस दिन विवाहित महिलाएं भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती के साथ चंद्रमा की पूजा करती हैं। इसे सतुदी या बड़ी तीज के नाम से भी जानते हैं। कजरी तीज के दिन सुहागिनें पति की लंबी की कामना के लिए व्रत रखती हैं इसे कजली तीज, बूढ़ी तीज या सातूड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। यह त्यौहार उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं (married women) अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती है। मनचाहे वर की कामना के लिए अविवाहित लड़कियां भी इस दिन व्रत रखती हैं। कजरी तीज पर चंद्रमा को अर्घ्य देने की भी परंपरा है।
कजरी तीज पूजा विधि:
कजरी तीज का व्रत रखने वाली महिलाएं सुबह जल्दी स्नान आदि करके भगवान शिव और माता गौरी की प्रतिमा के समक्ष हाथ जोड़कर व्रत और पूजा का संकल्प लें। तथा अपनी मनोकामना (desire) भी भगवान के सामने कहें। अब भगवान शिव और माता पार्वती (Mother Parvati) की मिट्टी की मूर्ति या चित्र, पूजा चौकी पर लाल कपड़े के आसन को बिछाकर, स्थापित करें। इसके बाद वे शिव-गौरी का विधि-विधान से पूजन वंदन करें। भगवान शिव को बेल पत्र, गाय का दूध, गंगा जल, धतूरा, भांग आदि अर्पित करने के बाद माता तीज, जो कि पार्वती की ही रूप हैं, को सुहाग के 16 सामग्री अर्पित चढ़ाएं। फिर धूप और दीप आदि जलाकर आरती करें और व्रत कथा जरूर सुनें। तदोपरांत प्रसाद वितरण करें।
कजरी तीज की व्रत कथा
कजरी तीज की एक पौराणिक व्रत कथा (mythological fasting story) के अनुसार एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। भाद्रपद महीने की करली तीज पर उसकी पत्नी ने तीज माता का व्रत रखा। उसने ब्राह्मण से कहा कि आज मेरा तीज माता का व्रत है और आप कहीं से चने का सातु लेकर आइए। ब्राह्मण ने कहा कि मैं सातु कहां से लाऊं। ब्राह्मणी ने कहा कि चाहे चोरी करो चाहे डाका डालो लेकिन मेरे लिए सातु कहीं ले भी लेकर आओ। रात का समय था और ब्राह्मण घर से सातु लेने के लिए निकला। वो साहूकार की दुकान में घुस गया। उसने चने की दाल, घी, शक्कर लेकर सवा किलो तोलकर सातु बना लिया और चुपके से निकलने लगा। उसकी आवाज सुनकर दुकान के नौकर जाग गए और चोर-चोर चिल्लाने लगे
आवाज सुनकर साहूकार आया और उस ब्राह्मण को पकड़ लिया। फिर ब्राह्मण ने सफाई देते हुए कहा कि मैं चोर बल्कि एक गरीब ब्राह्मण हूं। मेरी पत्नी का आज तीज माता का व्रत है इसलिए मैं सिर्फ यह सवा किलो का सातु बना कर ले जा रहा था। जब साहूकार ने उसकी तलाशी ली तो उसे वाकई ब्राह्मण के पास से सातु के अलावा कुछ नहीं मिला। साहूकार ने कहा कि आज से तुम्हारी पत्नी को मैं अपनी धर्म बहन मानूंगा। साहूकार ने ब्राह्मण को सातु, गहने, रुपए, मेहंदी, लच्छा और बहुत सारा धन देकर ठाठ से विदा किया। सबने मिलकर कजरी माता की पूजा की। जिस तरह ब्राह्मण के दिन फिरे वैसे सबके दिन फिरे… कजरी माता की कृपा सब पर हो।
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