हरतालिका तीज (Hartalika Teej) हिन्दू धर्म में सुहागिन महिलाओं द्वारा किया जाने वाला बेहद ही कठिन और शुभ फलदायी व्रत माना गया है। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज मनाई जाती है। इस दिन मुख्य तौर पर भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती (Mata Parvati) की पूजा का विधान बताया गया है। हरतालिका तीज (Hartalika Teej vrat) का व्रत पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव (Lord Shiva) और माता पार्वती का पूजन करती हैं। पूजा करने के दौरान कुछ विशेष नियमों को अपनाना चाहिए। ये व्रत अविवाहित कन्याएं भी रख सकती हैं।
शुरू करने के बाद जीवन में कभी नहीं छोड़ सकते हैं ये व्रत (Hartalika Teej vrat rules)
एक्सपर्ट ने कहा कि विधि विधान और इसके कठोर नियमों का पालन करना अनिवार्य है। हरतालिका व्रत रखना शुरू कर रहे हैं, तो ये ध्यान दें कि इस व्रत को जीवनपर्यंत रखना अनिवार्य है। केवल एक स्थिति ही में इस व्रत को छोड़ा जा सकता है, जब व्रत रखने वाले गंभीर रूप से बीमार पड़ जाएं, लेकिन यहां भी ये ध्यान देना होगा, कि ऐसी स्थिति में व्रत रखने वाली महिला के पति या किसी दूसरी महिला को ये व्रत रखना होगा।
इन बातों का व्रत रखने वाली महिलाएं रखें विशेष ध्यान
हरतालिका तीज का शुभ मुहूर्त (Hartalika teej shubh muhurat)
प्रातःकाल हरितालिका व्रत पूजा मुहूर्त- सुबह 6 बजकर 3 मिनट से सुबह 8 बजकर 33 मिनट तक
प्रदोषकाल हरितालिका व्रत पूजा मुहूर्त- शाम 6 बजकर 33 से रात 8 बजकर 51 मिनट तक
तृतीया तिथि प्रारंभ- 9 सितंबर 2021, रात 2 बजकर 33 मिनट से
तृतीया तिथि समाप्त- 10 सितंबर 2021 रात 12 बजकर 18 तक
पूजन विधि (Hartalika teej pujan vidhi)
हरतालिका तीज की पूजा शुभ मुहूर्त में करें। इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू, रेत या काली मिट्टी की प्रतिमा बनाएं। पूजा के स्थान को फूलों से सजाएं और एक चौकी रखें। इस पर केले के पत्ते बिछाएं और भगवान शिव, माता पार्वती (Mother Parvati) और भगवान गणेश(Lord Ganesha) की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का षोडशोपचार विधि से पूजन करें।
तीज की सुनें कथा (Hartalika teej katha)
इसके बाद माता पार्वती को सुहाग की सारी वस्तुएं चढ़ाएं और भगवान शिव को धोती और अंगोछा चढ़ाएं। बाद में ये सभी चीजें किसी ब्राह्मण को दान दें। पूजा के बाद तीज की कथा सुनें और रात्रि जागरण करें। अगले दिन सुबह आरती के बाद माता पार्वती को सिंदूर (Vermilion) चढ़ाएं और हलवे का भोग लगाकर व्रत खोलें
नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved