मुंबई. एक जमाना ऐसा हुआ करता था जब किसी फिल्म में एक हीरो को कास्ट करने की कई सारी धारणाए बनी हुई थीं. उसका गोरा रंग, अच्छे लुक्स, अच्छी पर्सनालिटी इन सारी चीजों को प्रथमिकता दी जाती थी. ऐसा नहीं है कि आज इंडस्ट्री में ये सारी धारणाएं मिट गई हैं मगर 4 दशक पहले एक ऐसे शख्स ने फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री मारी जिसने इन धारणाओं को कमजोर जरूर कर दिया. साधारण सा दिखने वाला शख्स, एक दमदार आवाज और Acting के प्रति ऐसा जुनून जिसने उसे सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विश्वभर में पहचान दिलाई. एक्टर का नाम ओम पुरी.
ओम पुरी ने एक्टर की एक ऐसी परिभाषा गढ़ी जिसने Cinema की दुनिया में एक मिसाल कायम की. नामुमकिन सी लगने वाली बात को मुमकिन किया. एक्टर ओम पुरी के 70वें जन्मदिन पर बता रहे हैं एक्टर के संघर्ष और सफलता की कहानी. ओम पुरी का जन्म 18 अक्टूबर, 1950 को पंजाब के अंबाला में हुआ. उनका जीवन गरीबी में गुजरा. उन्होंने एक Interview के दौरान ये बताया था कि जब वे 6 साल के थे तो एक ढाबे में बर्तन साफ किया करते थे. एक्टर को बचपन से ही फिल्मों का शौक था और उन्होंने अपनी आरंभिक पढ़ाई पूरी करने के बाद एक्टिंग स्कूल में ही दाखिला लेने की ठानी. उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन लिया.
एक्टर का संघर्ष यहीं खत्म नहीं हुआ. उन्हें नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में ये महसूस हुआ कि अपने साथियों की तुलना में उनकी इंग्लिश बड़ी खराब है. वे इस बात को लेकर बेहद मायूस रहते. फिर उन्होंने इंग्लिश सीखने की इच्छा जाहिर की तो इसमें उनके मेंटर ने उनकी मदद की. इसके अलवा साथी नसीरुद्दीन शाह ने भी उनका बहुत साथ दिया. नतीजतन ओम पुरी ने English पर इतनी अच्छी पकड़ बना ली कि उन्होंने 20 के करीब इंग्लिश फिल्मों में काम किया.
इन शानदार फिल्मों में किया काम
ओम पुरी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्हें फिल्मों में सिर्फ सपोर्टिंग रोल ही नहीं मिले बल्कि लीड रोल भी मिले. एक्टर ने भूमिका, स्पर्श, आक्रोश, कलयुग, गांधी, जाने भी दो यारों, आरोहन, अर्ध सत्या, मंडी, पार, मिर्च मसाला, सिटी ऑफ जॉय, अ रेल्युकटेंट फंडामेंटलिस्ट, चार्ली विलसन्स वार, इन कस्टडी, गुप्त, चाची 420, चोर मचाए शोर, मकबूल, धूप, मेरे बाप पहले आप, मालामाल वीकली, दबंग, अ डेथ इन अ गुंज, द जंगल बुक और द गाजी अटैक जैसी इंग्लिश और हिंदी फिल्मों में काम किया.
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