स्कंद षष्ठी (Skanda Shashti) का व्रत हर मास की षष्ठी तिथि को रखा जाता है। इस बार आषाढ़ मास की स्कंद षष्ठी 15 जुलाई यानी आज है। स्कंद षष्ठी को भगवान शिव (Lord Shiva) के ज्येष्ठ पुत्र कार्तिकेय यानी भगवान स्कंद की पूजा (prayer) की जाती है। स्कंद षष्ठी व्रत दक्षिण भारत के मुख्य त्योहारों में से एक है। यहां लोग कार्तिकेय जी को मुरुगन नाम से पुकारते हैं और उनकी पूजा-अर्जना करते हैं। स्कंद पुराण के अनुसार, इस दिन व्रत रखने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं।
स्कंद षष्ठी पर इस तरह करें पूजा –
इस दिन श्रद्धालु स्कंद षष्ठी का व्रत करते हैं। व्रत करने वाले लोगों को भगवान मुरुगन का पाठ, कांता षष्ठी कवसम और सुब्रमणियम भुजंगम का पाठ करना चाहिए। आज के दिन भगवान मुरुगन के मंदिर में सुबह जाकर उनकी पूजा करने का विधान है। छह दिनों तक चलने वाले इस पर्व पर सभी दिन व्रत करना शुभ माना जाता है। इस दौरान आप दिन में सिर्फ एक बार भोजन या फलाहार (fruit food) कर सकते हैं। दक्षिण भारत में कई लोग इस पर्व पर नारियल पानी पीकर भी छह दिनों तक उपवास करते हैं।
स्कंद षष्ठी का महत्व-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, स्कंद षष्ठी असुरों के नाश की खुशी में मनाया जाता है। इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना करने से उनके भक्तों के कष्ट दूर होते हैं और उन्हें सुख-समृद्धि (happiness and prosperity) का वरदान प्राप्त होता है। हर वर्ष आने वाले इस छह दिवसीय उत्सव में सभी भक्त बड़ी संख्या में भगवान कार्तिकेय के मंदिरों में इकट्ठा होते हैं और सच्चे मन से उनकी आराधना करते हैं। स्कंद षष्ठी पर ‘ॐ तत्पुरुषाय विधमहे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात’ का जाप करना बेहद शुभ माना गया है।
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