मां पार्वती (Maa Parvati) के अत्यंत उग्र रूप को धूमावती के नाम से जाना जाता है। इनके अवतरण दिवस को धूमावती जयंती (Dhumavati Jayanti) के रूप में मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को यह जंयती मनाई जाती है, इस वर्ष आज यानि 18 जून को मनाई जा रही है। धूमावती को भगवान शिव (Lord Shiva) द्वारा प्रकट की गई 10 महाविद्याओं में सातवे स्थान पर रखा गया है। इन्हें पुरुषशून्या, विधवा आदि नामों से जाना जाता है।इस दिन 10 महाविद्या का पूजन किया जाता है। मां धूमावती को विधवा स्वरूप माना गया है। इनका वाहन कौवा है। श्वेत वस्त्र धारण कर माता खुले केश रखती हैं। माता की पूजा गुप्त नवरात्रि (Gupt Navratri) में भी की जाती है। मां धूमावती की प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए क्योंकि इनकी कृपा से मनुष्य के समस्त पापों का नाश होता है। इसके अलावा दुःखों आदि से भी छूटकारा प्राप्त होता है।
कैसे करें पूजा
धूमावती जयंती के दिन भक्त प्रातः कल स्नानादि से निवृत होकर पूजा स्थल पर बैठें। धूमावती माता का चित्र स्थापित कर उन्हें सफेद रंग के फूल, आक के फूल, सफेद वस्त्र, केसर, अक्षत, घी, सफेद तिल, धतूरा, आक, जौ, सुपारी दूर्वा, गंगाजल, शहद, कपूर, चन्दन, नारियल पंचमेवा आदि अर्पित करें। उसके बाद ॐ धूं धूं धूमावती स्वाहा’ मंत्र का रुद्राक्ष की माला से जप करना चाहिए। इस मंत्र से मां के सौम्य रूप की पूजा होती है। इस मंत्र का जप कम से कम 108 बार करनी चाहिए। इसके बाद माता धूमावती की पूजा आरती करके पूजन समाप्त करनी चाहिए।
धूमावती पूजा मंत्र
ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट्॥
धूं धूं धूमावती ठः ठः ॥
धूमावती पूजा का महत्त्व :
मान्यता है कि माता धूमावती की पूजा (worship) गुप्त नवरात्रि में की जाती है। इनकी कृपा से मनुष्य के समस्त पाप (sin) नष्ट हो जाते हैं। इन्हें सभी प्रकार के दुखों से छुटकारा मिलता है। माना जाता है कि उपरोक्त मंत्रों द्वारा राई में नमक मिलाकर होम करने से शत्रुनाश होता है। नीम की पत्तियों में घी मिलाकर होम करने से व्यक्ति को कर्ज से मुक्ति मिलती है। इन्हीं मंत्रों के द्वारा काली मिर्च से होम करने से कोर्ट कचहरी के मामलों में विजय एवं कारागार से मुक्ति मिलती है।
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
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