नई दिल्ली। पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने जनवरी के दिन विश्व हिंदी दिवस मनाने की घोषणा की। विश्व हिंदी दिवस पूरे विश्व में हिंदी भाषा को फैलाने के लिए मनाया जाता है। इसलिए आज का दिन दुनिया में हिंदी पसंद करने वालों के लिए बेहद खास दिन है। जिस भाषा को लगभग तीन चौथाई हिन्दुस्तान समझता है। क्या उसके लिए एक दिन भी समर्पित करना हमारे लिए मुश्किल हो गया है। आज की युवा पीढ़ी हिन्दी दिवस तो दूर हिन्दी भाषा को भी भूलती जा रही है।
अधिकांश लोगों की भाषा में इतनी मिलावट है कि उसे हिन्दी कहना हिन्दी भाषा का अपमान ही माना जाएगा। अब छात्रों को हिन्दी के मूल शब्दों के अर्थ भी मालूम नहीं हैं। कुछ लोग हिन्दी में हो रही मिलावट की निंदा कर रहे हैं तो कुछ की सोच इसके उलट है। हिन्दी दिवस पर डीवीएनए से बातचीत में शिक्षक-शिक्षिकाओं व छात्र-छात्राओं ने बेबाकी से अपनी बात कही।
शिक्षिका डा. नीलम अग्रवाल ने कहा कि हिन्दी भाषा युवाओं में लुप्त होती जा रही है। यह बेहद चिंताजनक है। अभिभावक इस बात पर ध्यान दें कि उनके बच्चे मातृभाषा हिन्दी का सम्मान करें । हिन्दी विषय लेने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करें।
बीए की छात्रा सुनीता ने कहा कि अंग्रेजी या अन्य भाषाओं का ज्ञान रखना गलत नहीं है। लेकिन हमें अपनी मातृभाषा को नहीं भूलना चाहिए। जब इंटरमीडिएट कक्षाओं तक हिन्दी अनिवार्य है, तो छात्र-छात्राओं में हिन्दी से इतनी नाराजगी क्यों है।
शिक्षक डा. एसपी शर्मा ने कहा कि देश में राष्ट्रीय आन्दोलनों में हिन्दी ही प्रमुख भाषा रही है। देश में जितनी रचनाएं हिन्दी भाषा में राष्ट्र की भावना के ओत-प्रोत लिखी गयी। शायद ही किसी अन्य भाषा में लिखी गई हों। परन्तु अफसोस आज भी हम हिन्दी को उसका सही मान दिलाने में असफल हैं।
एमकॉम के छात्र तैयब ने कहा कि यूपी बोर्ड में तो फिर भी हिन्दी का टूटा-फूटा ज्ञान बचा है। लेकिन अन्य बोर्ड के स्कूल-कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं तो हिन्दी को पूरी तरह ही भूल चुके हैं। हिन्दुस्तान में यूपी बोर्ड की तरह ही अन्य बोर्ड में भी हिन्दी को अनिवार्य करना चाहिए।
इंटरमीडिएट की छात्रा मानवी ने कहा कि हिन्दी बोलने वालों को छोटा समझा जाता है। अंग्रेजी भाषा को हमने सिर पर चढ़ा लिया है और अपनी मातृभाषा को बिल्कुल ही भूल गए हैं। हिन्दी दिवस पर संकल्प लेते हैं कि हिन्दी के महत्व को नहीं भूलेंगे।
शिक्षिका रिहाना परवीन ने कहा कि यह बेहद चिंता का विषय है कि हमारे बच्चे अपनी मातृभाषा भी ठीक से नहीं बोल पाते। अंग्रेजी बोलने के ट्रेंड ने उनके लिए हिन्दी के महत्व को कम कर दिया है। यह गलत है, अभिभावक इस पर ध्यान दें।
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