- गिराऊ मकानों को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई-अधिकांश के मामले न्यायालय में
उज्जैन। आज महाकाल में भारी भीड़ है और सवारी में इसकी चुनौती रहेगी। निगम सीमा की 6 झोनों में करीब 5 दर्जन मकान ऐसे हैं जो बेहद जर्जर हैं। इनके गिरने से कई लोगों की जान संकट में आ सकती है। दो साल पहले बारिश तथा महाकाल सवारी के वक्त नगर निगम ने इसका सर्वे कराया था। उल्लेखनीय है कि बारिश के दिनों में अक्सर शहरी सीमा के अंतर्गत पुराने और जर्जर मकानों का जिन्न बाहर आ जाता है। बारिश के अलावा महाकाल की सवारियों के अवसर पर भी नगर निगम का अमला पूरे सवारी मार्ग पर जर्जर मकान तलाशने निकल जाता है और चिन्हित भी कर लिया जाता है। कुछ मकानों को सालों से जर्जर होने के बाद चिन्हित किया जाता रहा है लेकिन सवारी निकलने के बाद उन्हें बगैर कार्रवाई के छोड़ दिया जाता है।
पूर्व में देखा गया है कि सवारी के दौरान सिर्फ मार्ग के जर्जर मकानों के ऊपर सावधानी वाले बैनर लगा दिए जाते हैं, जिन पर लिखा होता है सावधान..यह गिराऊ भवन है..इससे दूरी बनाकर रखें। इसी 4 बाय 2 वर्गफीट के चेतावनी वाले संदेश के सहारे महाकाल की सभी सवारियाँ निकलती रही है लेकिन इस बार नगर निगम ने सवारी मार्ग के अलावा चिन्हित किए गए अन्य जर्जर मकानों पर बारिश के सीजन में अभी तक कार्रवाई शुरु नहीं की है। नगर निगम की 6 झोन में पिछले साल फरवरी तक लगभग 5 दर्जन जर्जर मकानों की सूची बना ली गई थी और सतीगेट क्षेत्र में तो बड़ी कार्रवाई करके जर्जर मकान तोड़ा भी गया था। शहर के कुछ और क्षेत्रों में चिन्हित जर्जर मकानों के छज्जे-गैलरी नगर निगम की गैंग ने उतारे थे। उसके बाद मार्च में कोरोना संक्रमण शुरु हो गया था और उसके बाद से कोई कार्रवाई नहीं हुई। अभी भी 50 से ज्यादा जर्जर मकान हैं जो कई तो भीड़ भरे इलाकों में खड़े हुए हैं।