नई दिल्ली। एलोपैथी चिकित्सा को लेकर बाबा रामदेव के साथ डॉक्टरों का विवाद बढ़ता ही जा रहा है। स्थिति यह है कि मंगलवार को बाबा रामदेव के खिलाफ देश भर में डॉक्टरों का प्रदर्शन शुरू हो गया है। कोरोना महामारी के बीच इस विवाद ने सरकारों को भी चिंता में डाल दिया है। दिल्ली एम्स समेत तमाम अस्पतालों में डॉक्टर काली पट्टी बांधकर काम कर रहे हैं और बाबा रामदेव की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं।
स्थिति यह है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने हाल ही में बाबा रामदेव को पत्र लिख बयान वापस लेने की मांग तक की थी लेकिन उसके बाद भी यह विवाद नहीं थमा। जिसके चलते अब न सिर्फ निजी बल्कि सरकारी अस्पतालों में कार्यरत रेजीडेंट डॉक्टरों ने भी विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने की घोषणा की है। बाबा रामदेव के खिलाफ प्रदर्शन सुबह 8 बजे से शुरू हो गया है।
सोमवार को फेडरेशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (फोर्डा), इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और फेमा सहित कई चिकित्सीय संगठनों ने बाबा रामदेव के खिलाफ प्रदर्शन करने की घोषणा की है। इसमें कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, हरियाणा, पंजाब, एमपी और राजस्थान तक सरकारी अस्पतालों में कार्यरत रेजीडेंट डॉक्टरों ने हिस्सा लेने की जानकारी दी है।
चिकित्सीय संगठनों के अनुसार महामारी के बीच मरीजों की जान बचाना उनके लिए पहली प्राथमिकता है। इसीलिए चिकित्सीय व्यवस्था में कोई बाधा न आते हुए वे सभी काली पट्टी बांधकर बाबा रामदेव के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। इनकी मांग है कि अगर जल्द ही सरकार ने बाबा रामदेव के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं की तो यह विरोध प्रदर्शन और भी अधिक आक्रामक देखने को मिल सकता है।
इनके अलावा दिल्ली एम्स, सफदरजंग अस्पताल सहित केंद्र सरकार के अधीन अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों ने भी प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे हैं। वहीं ऋषिकेश, भोपाल, पटना सहित अलग अलग एम्स के रेजीडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (आरडीए) ने भी बाबा रामदेव के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को समर्थन दिया है।
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