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    आज है कालाष्‍टमी व्रत में करें ये काम, सब मनोकामना होगी पूरी

    February 04, 2021

    हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, आज माघ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि दोपहर बाद से प्रारंभ हो रही है, इसलिए इस मास की कालाष्टमी (Kalashtami) का व्रत आज रखा जा रहा है। आज के दिन भगवान शिव (Lord Shiva)के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा करने का विधान है। पूजा के समय में भैरव चालीसा का पाठ करना अच्छा माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भैरव चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति के सभी कष्ट मिट जाते हैं। जागरण अध्यात्म में आज हम जानते हैं भैरव चालीसा के बारे में।

    कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त:

    माघ, कृष्ण अष्टमी, 4 फरवरी, गुरुवार

    अष्टमी तिथि प्रारंभ- 4 फरवरी, गुरुवार दोपहर 12 बजकर 7 मिनट से

    भैरव चालीसा (Bhairav Chalisa)

    दोहा
    श्री गणपति गुरु गौरी पद प्रेम सहित धरि माथ।

    चालीसा वंदन करो श्री शिव भैरवनाथ॥

    श्री भैरव संकट हरण मंगल करण कृपाल।
    श्याम वरण विकराल वपु लोचन लाल विशाल॥

    जय जय श्री काली के लाला।

    जयति जयति काशी-कुतवाला॥

    जयति बटुक-भैरव भय हारी।

    जयति काल-भैरव बलकारी॥

    जयति नाथ-भैरव विख्याता।

    जयति सर्व-भैरव सुखदाता॥

    भैरव रूप कियो शिव धारण।

    भव के भार उतारण कारण॥

    भैरव रव सुनि हवै भय दूरी।

    सब विधि होय कामना पूरी॥

    शेष महेश आदि गुण गायो।

    काशी-कोतवाल कहलायो॥

    जटा जूट शिर चंद्र विराजत।

    बाला मुकुट बिजायठ साजत॥

    कटि करधनी घुंघरू बाजत।

    दर्शन करत सकल भय भाजत॥

    जीवन दान दास को दीन्ह्यो।

    कीन्ह्यो कृपा नाथ तब चीन्ह्यो॥

    वसि रसना बनि सारद-काली।

    दीन्ह्यो वर राख्यो मम लाली॥

    धन्य धन्य भैरव भय भंजन।

    जय मनरंजन खल दल भंजन॥



    कर त्रिशूल डमरू शुचि कोड़ा।

    कृपा कटाक्ष सुयश नहिं थोड़ा॥

    जो भैरव निर्भय गुण गावत।

    अष्टसिद्धि नव निधि फल पावत॥

    रूप विशाल कठिन दुख मोचन।

    क्रोध कराल लाल दुहुं लोचन॥

    अगणित भूत प्रेत संग डोलत।

    बम बम बम शिव बम बम बोलत॥

    रुद्रकाय काली के लाला।

    महा कालहू के हो काला॥

    बटुक नाथ हो काल गंभीरा।

    श्‍वेत रक्त अरु श्याम शरीरा॥

    करत नीनहूं रूप प्रकाशा।

    भरत सुभक्तन कहं शुभ आशा॥

    रत्‍न जड़ित कंचन सिंहासन।

    व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन॥

    तुमहि जाइ काशिहिं जन ध्यावहिं।

    विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं॥

    जय प्रभु संहारक सुनन्द जय।

    जय उन्नत हर उमा नन्द जय॥

    भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय।

    वैजनाथ श्री जगतनाथ जय॥

    महा भीम भीषण शरीर जय।

    रुद्र त्रयम्बक धीर वीर जय॥

    अश्‍वनाथ जय प्रेतनाथ जय।

    स्वानारुढ़ सयचंद्र नाथ जय॥

    निमिष दिगंबर चक्रनाथ जय।

    गहत अनाथन नाथ हाथ जय॥

    त्रेशलेश भूतेश चंद्र जय।

    क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय॥

    श्री वामन नकुलेश चण्ड जय।

    कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय॥

    रुद्र बटुक क्रोधेश कालधर।

    चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर॥

    करि मद पान शम्भु गुणगावत।

    चौंसठ योगिन संग नचावत॥

    करत कृपा जन पर बहु ढंगा।

    काशी कोतवाल अड़बंगा॥

    देयं काल भैरव जब सोटा।

    नसै पाप मोटा से मोटा॥

    जनकर निर्मल होय शरीरा।

    मिटै सकल संकट भव पीरा॥

    श्री भैरव भूतों के राजा।

    बाधा हरत करत शुभ काजा॥

    ऐलादी के दुख निवारयो।

    सदा कृपाकरि काज सम्हारयो॥

    सुन्दर दास सहित अनुरागा।

    श्री दुर्वासा निकट प्रयागा॥

    श्री भैरव जी की जय लेख्यो।

    सकल कामना पूरण देख्यो॥

    दोहा

    जय जय जय भैरव बटुक स्वामी संकट टार।

    कृपा दास पर कीजिए शंकर के अवतार॥

    कालाष्टमी का महत्व:
    मान्यता है कि जो व्यक्ति कालाष्टमी के दिन व्रत और पूजा करता है उसकी उन मनोकामनाओं के भी पूर्ति होती है जिनकी बहुत समय से पूर्ति नहीं हो पा रही हो। कालभैरव का रूप भयावय है। लेकिन अपने भक्तों के लिए वो दयालु और कल्याणकारी हैं। कहा जाता है कि इस दिन भैरव चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए। साथ ही इश दिन कुत्ते को भोजन अवश्य कराया जाना चाहिए। अगर ऐसा किया जाता है तो भैरव बाबा प्रसन्न हो जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कुत्ता भैरव बाबा का वाहन है। ऐसे में इस दिन कुत्ते को भोजन कराने का महत्व बेहद विशेष होता है।

    नोट– उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सूचना सामान्‍य उद्देश्‍य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्‍यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्‍न माध्‍यमों जैसे ज्‍योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्‍वयं की जिम्‍मेंदारी होगी ।

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