नई दिल्ली । हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि (Chaturthi Tithi) को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश (lord ganesh) की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि आज 23 नवंबर, मंगलवार को है। मंगलवार को चतुर्थी तिथि पड़ने के कारण इसे अंगारकी चतुर्थी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान गणेश के साथ बजरंगबली की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। अंगारकी चतुर्थी के दिन हनुमान जी और श्रीगणेश को सिंदूर का तिलक करने मंगलदोष से मुक्ति मिलती है।
अंगारकी चतुर्थी महत्व
अंगारकी नाम का एक संत भगवान गणेश का परम भक्त था। वह ऋषि भारद्वाज और मां पृथ्वी का पुत्र था। अंगारकी ने भगवान गणेश की घोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर भगवान गणेश उनके सामने प्रगट हो गए। और मनचाहा वरदान मांगने के लिए कहा।
इस पर संत अंगारकी ने कहा, भगवान मैं हमेशा आपकी शरण में रहना चाहता हूं। इस पर भगवान गणेश ने एवमस्तु कहा। उन्होंने कहा कि जब भी मंगलवार को चतु्र्थी पड़ेगी उसे अंगारकी नाम से जाना जाएगा। अंगारकी को भगवान मंगल के नाम से भी जानते हैं। मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य के कार्यों में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं और कुंडली में मंगल दोष का निवारण भी किया जाता है।
आज के शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त – 11:46 AM – 12:28 PM
अमृत काल – None
ब्रह्म मुहूर्त – 05:18 AM – 06:06 AM
चंद्रमा का समय-
चन्द्रोदय – Nov 23 8:26 PM
चन्द्रास्त – Nov 24 10:57 AM
अंगारकी चतुर्थी पूजा विधि-
1. सबसे पहले स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. इस दिन लाल वस्त्र पहनकर पूजा करना शुभ माना जाता है।
3. पूजा करते समय मुख उत्तर या पूर्व दिशा में रखना चाहिए।
4. साफ आसन या चौकी पर भगवान श्रीगणेश को विराजित करें।
5. अब भगवान श्रीगणेश की धूप-दीप से पूजा-अर्चना करें।
6. पूजा के दौरान ॐ गणेशाय नमः या ॐ गं गणपते नमः मंत्रों का जाप करना चाहिए।
7. पूजा के बाद श्रीगणेश को लड्डू या तिल से बने मिष्ठान का भोग लगाएं।
8. शाम को व्रत कथा पढ़कर और चांद को अर्घ्य देकर व्रत खोलें।
9. व्रत पूरा करने के बाद दान करें।
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