उज्जैन। शिप्रा नदी खतरनाक हो गई है और 12 दिनों में पाँच नहाने वाले श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। यहाँ न एम्बुलेंस का इंतजाम है और न ही सुरक्षा के कोई इंतजाम। आज भी मौत के बाद शव तीन घंटे तक पड़ा रहा लेकिन शव वाहन नहीं पहुँचा, जबकि कल तैराक दल के एक सदस्य की ही मौत हो गई। शिप्रा नदी में पानी गहरा है और सही तरह से कोई सूचना भी नहीं लगी है। अंदर कीचड़ भी है और घाट की सीढिय़ों पर भी काई जमी हुई है। शिप्रा नदी में लगातार मौतों का सिलसिला शुरू हो गया है और प्रशासन यहां सुरक्षा के इंतजाम कराने को तैयार नहीं है। पिछले 12 दिनों से लगातार नदी में डूबने से लोगों की मौत होने का सिलसिला चल रहा है और आज सुबह कोटा से आए युवक की गहरे पानी में जाने से मौत हो गई। उसके दोस्तों ने उसे बचाने के प्रयास किए लेकिन सफलता नहीं मिल पाई। महाकाल थाना पुलिस ने बताया कि केसरपुरा कोटा निवासी 12वीं का छात्र गौरव पिता घनश्याम सेन उम्र 20 साल अपने तीन दोस्त अर्जुन प्रजापत, संत कुमार मीणा और सन्नी प्रजापत के साथ सुबह 4 बजे महाकाल दर्शन के लिए उज्जैन आया था।
रेलवे स्टेशन से ऑटो में बैठकर चारों दोस्त स्नान करने के लिए सीधे रामघाट पर पहुंचे। यहाँ पर चारों नदी में उतरे और गौरव गहरे पानी में जाकर डूबने लगा। इस पर उसके तीन साथियों ने उसे बचाने का काफी प्रयास किया लेकिन बचा नहीं पाए और वह डूब गया। साथियों ने शोर मचाया तो वहाँ पर मौजूद तैराक पहुंचे और मृतक के शव को पानी से बाहर निकाला। सूचना मिलने के बाद पुलिस मौके पर आ गई थी लेकिन शव ले जाने के लिए वाहन ही नहीं था और तीन घंटे तक मृतक के शव को घाट पर रखना पड़ा। बाद में शव वाहन आया और उससे अस्पताल ले जाया गया। सूचना के बाद मृतक के परिजन भी कोटा से उज्जैन के लिए रवाना हो गए थे। पुलिस ने मृतक के मोबाईल को जब्त कर लिया है। उल्लेखनीय है कि पिछले 12 दिनों से शिप्रा नदी में लगातार मौतें हो रही हैं और आज सुबह यह श्रद्धालु की पाँचवीं मौत है। लगातार हो रही मौतों के बावजूद भी प्रशासन कुछ भी व्यवस्था जुटाने को तैयार नहीं है और यहाँ माईक के माध्यम से गहरे पानी में जाने से रोकने की मुनादी कराना चाहिए लेकिन प्रशासन इस तरह के इंतजाम करने को तैयार नहीं है। यहां पर तैराक और होमगार्ड जवानों का पूरा बल लगा हुआ है लेकिन फिर भी लोग डूबकर अपनी जान गँवा रहे हैं। नदी क्षेत्र में गहरे पानी से संबंधित सूचना बोर्ड नहीं लगे हैं और सीढिय़ों पर जमा काई भी साफ नहीं कराई जा रही है जिसके कारण इस तरह के हादसे हो रहे हैं और लोगों की मौतें हो रही हैं। अभी सावन का महीना शुरू हो जाएगा और बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहाँ नहाने के लिए पहुँचेंगे, ऐसे में अब प्रशासन को सतर्क हो जाना चाहिए।
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