नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना (Indian Air Force) की ताकत में और इजाफा होने जा रहा है. राफेल (Rafale) लड़ाकू विमानों की नई खेप आज हिन्दुस्तान पहुंच रही है. खबरों के मुताबिक तीनों राफेल लड़ाकू विमान आज शाम अंबाला के एयरबेस (Ambala’s Airbase) पर लैंड करेंगे. ये तीनों लड़ाकू विमान फ्रांस से हिन्दुस्तान की लगभग 7 हजार किमी. की दूरी बिना रुके तय करेंगे. यूएई के आसमान में ही तीनों विमानों में एयर टू एयर रिफ्यूलिंग की जाएगी, यानि उड़ान के दौरान आसमान में ही ईंधन भरा जाएगा. भारत को अब तक 21 राफेल सौंपे जा चुके हैं जबकि 11 ही भारत आए हैं. ये सभी अंबाला में मौजूद वायुसेना के गोल्डन ऐरो स्कॉवड्रन का हिस्सा हैं और आज जो तीन राफेल आएंगे उन्हें भी गोल्डन एरो स्कॉवड्रन में ही शामिल किया जाएगा.
अप्रैल में पांच और राफेल आएंगे
इन लड़ाकू विमानों की एक और नई खेप अगले महीने यानि अप्रैल के आखिर में आएगी. अप्रैल वाली खेप में तीन की जगह 5 राफेल लड़ाकू विमान होंगे. नए विमानों को पश्चिम बंगाल के हाशिमारा एयरबेस पर तैनात किया जाएगा. चीन से लगती पूर्वी सीमा की निगरानी या जरूरत पड़ने पर इनका इस्तेमाल हाशिमारा बेस से आसानी से किया जा सकेगा. राफेल विमानों की पहली खेप पिछले साल 29 जुलाई को फ्रांस से भारत आई थी. भारत ने फ्रांस से 59 हजार करोड़ रुपये में 36 लड़ाकू विमान खरीदने के लिये साल 2015 में अंतर-सरकारी करार पर हस्ताक्षर किये थे. पिछले साल 10 सितंबर को अंबाला में हुए एक कार्यक्रम में राफेल लड़ाकू विमानों को औपचारिक रूप से वायुसेना के बेड़े में शामिल कर लिया गया था. तीन विमानों की दूसरी खेप तीन नवंबर को भारत आई थी जबकि तीन और विमानों की तीसरी खेप 27 जनवरी को यहां पहुंची.
क्यों खास है हाशिमारा एयरबेस
हाशिमारा एयर बेस चीन और भूटान ट्राइजंक्शन के करीब है. ऐसे में यहां स्क्वॉड्रन बनाने से चीन के किसी भी हिमाकत का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकेगा. हाशिमारा में तैनात रफाल फाइटर जेट्स की जिम्मेदारी सिक्किम से लेकर अरूणाचल प्रदेश तक से सटी एलएसी की होगी. हाशिमारा बेस उसी विवादित डोकलम इलाके के बेहद करीब है जहां वर्ष 2017 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच 75 दिन लंबा टकराव हुआ था. हालांकि, अभी तक हाशिमारा बेस पर राफेल के लिए तैयार किए गए इंफ्रास्ट्रक्चर और नए रनवे के बारे में ज्यादा जानकारी साझा नहीं की गई है. राफेल का पहला स्क्वॉड्रन अंबाला एयर फोर्स स्टेशन पर है. राफेल फाइटर जेट के पहले स्क्वॉड्रन में 5 फाइटर जेट हैं. इसे पिछले साल सितंबर महीने में एयरफोर्स में शामिल किया गया था. इन्हें ‘गोल्डन एरो स्क्वॉड्रन’ में जगह मिली थी.
2016 में हुई थी डील
भारत ने फ्रांस के साथ 2016 में तकरीबन 58 हजार करोड़ रुपये की डील फाइनल की थी. तब इस डील को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर जमकर निशाना साधा था. इस डील के तहत भारत को फ्रांस से 36 राफेल विमान मिलने हैं. फरवरी 2021 तक जाकर राफेल विमान पूरी तरह से ऑपरेशनल होंगे. राफेल विमान को फ्रांस ने भारतीय वायुसेना के हिसाब से बनाया है, जिसमें भारत की जरूरतों का ध्यान रखा गया है. भारत को जो राफेल मिला है उसका टेल नंबर RB001 है. राफेल 4.5 जनरेशन का लड़ाकू विमान है जो भारतीय वायुसेना में एक तरह से बड़ा बदलाव लाएगा. इस विमान में 24500 किग्रा भार ढोने की क्षमता है. साथ ही विमान के जरिए एक साथ 125 राउंड गोलियां दागी जाती हैं जो किसी को कुछ सोचने से पहले उसका काम तमाम कर सकती हैं.
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