भोपाल। कोरोना (Corona) काल में तंबाकू (Tobacco) या किसी अन्य प्रकार का नशा स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। वैसे भी तंबाकू (Tobacco) के सेवन से फेफड़े और श्वांस की बीमारी को बढ़ाता है। तंबाकू (Tobacco) सेवन करने वालों को कोरोना (Corona) का खतरा ज्यादा है। यह बात बरकतउल्लाह विवि (Barkatullah University) के प्रोफेसर अंनत कुमार सक्सेना (Professor Ananth Kumar Saxena) ने कही। प्रोफेसर सक्सेना (Professor Saxena) ने कहा कि तंबाकू मुक्त समाज का निर्माण कानून से अधिक सामाजिक जागरूकता से आएगा। इस बारे में विभिन्न प्रकार से पहल कर लोगों को जगाना होगा।
प्रोफेसर सक्सेना का कहना था कि बचपन से तंबाकू से होने वाले नुकसान के प्रति बताना होगा। तंबाकू का सेवन एक सामाजिक बुराई है और इस बुराई को जड़ से खत्म करना होगा। उन्होंने कहा कि तंबाकू नियंत्रण के लिए सामाजिक जागरूकता जरूरी है। जब लोग खुद तंबाकू का नुकसान समझेंगे तो हम तंबाकू मुक्त समाज का निर्माण कर सकेंगे।
वेबीनार की संयोजक एवं शिक्षा अध्ययन शाला की डीन डॉ. मनीषा सक्सेना ने बताया कि 80-90 के दशक में यूनिसेफ के साथ एक अध्ययन में इस बात की जानकारी मिली कि चंबल डिवीजन में जन्म लेने के बाद बच्चियों के मुंह में तंबाकू भारी मात्रा में भर दिया जाता था, जिससे उनकी मृृत्यु हो जाती थी। तब चंबल में सेक्स रेसियो में बहुत अंतर था। एक हजार पुरुषों पर 890 या इससे कम स्त्रियों की संख्या थी।
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