नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (AAP chief Arvind Kejriwal) शनिवार को पंजाब के मोहाली में संविदा शिक्षकों (Contractual teachers) के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए. ये संविदा शिक्षक सरकार से सेवाओं को नियमित करने सहित कई मागों को लेकर दबाव बना रहे हैं. संविदा शिक्षकों के विरोध में शामिल हुए अरविंद केजरीवाल ने पानी की टंकी पर चढ़े लोगों से नीचे उतरने को कहा.
अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने कहा, मैं आपसे गुजारिश करने के लिए आया हूं, मुझे शर्म आ रही है पूरे समाज पर, पूरी व्यवस्था के ऊपर कि हमारे शिक्षकों को आज ऐसे टंकी के ऊपर बैठकर प्रदर्शन करना पड़ रहा है. मैं आपसे विनती करने आया हूं कि आप लोग नीचे आ जाओ, मैं आपसे वादा करता हूं कि हमारी सरकार आने के बाद दिल्ली में जैसे शिक्षकों की सारी परेशानियां दूर हो गईं. वैसे ही पंजाब में भी सारी सुविधाएं दी जाएंगी.
अपने टीचरों को पानी की टंकी पर भेजती है पंजाब सरकार
अरविंद केजरीवाल ने कहा, दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था शिक्षकों की वजह से बेहतर हो पाई है. हम दिल्ली में शिक्षकों को ट्रेनिंग के लिए विदेशों में भेजते हैं, लेकिन पंजाब सरकार अपने टीचरों को पानी की टंकी पर भेजती है. ये बहुत ही दुख की बात है.
#WATCH | Delhi CM and AAP chief Arvind Kejriwal urges a group of protesting contractual teachers, who climbed atop a water tanker, to climb down in Mohali, Punjab pic.twitter.com/IGc8Dcvlct
— ANI (@ANI) November 27, 2021
क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं पंजाब के संविदा शिक्षक?
पंजाब के अस्थायी शिक्षक अपनी मांगों को लेकर कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. वो लगभग 6 महीनों से मोहाली में राज्य शिक्षा विभाग के बाहर धरने पर हैं. प्रदर्शन में बैठी एक शिक्षिका ने कहा है कि हमें पढ़ाते हुए 18 साल हो गए हैं और हमारी तनख्वाह मात्र 6,000 रुपए ही है.
हमारी मांग है कि सरकार हमें जल्द स्थायी करें. माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में संविदा शिक्षकों को मुद्दा काफी बड़ा हो सकता है. यही कारण है कि पंजाब में सत्ता में आने की उम्मीद कर रही आम आदमी पार्टी ने शिक्षकों की मांगों को मानने की बात कही है.
इससे पहले मुख्यमंत्री केजरीवाल ने मंगलवार को कच्चा अध्यापक यूनियन की लुधियाना इकाई के एक शिष्टमंडल से मुलाकात की थी. केजरीवाल ने राज्य में आप की सरकार बनने पर शिक्षकों की सभी मांगों को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने का आश्वासन दिया था.
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