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    Birthday Special: जाकिर हुसैन के तबले की धुन पर दुनिया कहती है ‘वाह उस्ताद’, पिता से विरासत में मिला था ये हुनर

  • March 09, 2022


    डेस्क। आज जाकिर हुसैन का 71वां जन्मदिन है। हुसैन तबले पर अपनी अंगुलियों और हाथ की थाप से जादू का संसार बना देते हैं, इसलिए उन्हें ‘उस्ताद’ जाकिर हुसैन कहा जाता है। जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था। ये हुनर उन्हें अपने पिता अल्ला रक्खा खान से विरासत में मिला है, जो खुद एक मशहूर तबला वादक थे। आज हम आपको वैश्विक स्तर पर अपनी कला का लोहा मनवाने वाले जाकिर हुसैन के बारे में बताने जा रहे हैं।

    जाकिर हुसैन ने महज तीन साल की उम्र में अपने पिता से पखावज बजाना सीख लिया था। उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज से अपनी पढ़ाई की थी। 11 साल की उम्र में उन्होंने अमेरिका में अपना पहला कॉन्सर्ट किया और साल 1973 में ‘लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड’ नाम से अपना पहला एलबम लॉन्च किया। उनके इस एलबम ने जनता की खूब वाहवाही बटोरी थी।

    हुसैन भारत के साथ ही विश्व में भी बहुत प्रसिद्ध हैं। वह पहले भारतीय संगीतकार थे, जिन्हें ऑल-स्टार ग्लोबल कॉन्सर्ट में भाग लेने के लिए पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की ओर से व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया गया। उन्हें कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है। वहीं, संगीत की दुनिया का सबसे बड़ा ग्रैमी अवॉर्ड उन्हें दो बार, साल 1992 में ‘द प्लेनेट ड्रम’ और 2009 में ‘ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट’ के लिए मिल चुका है।


    इसके साथ ही उन्हें विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिसमें पद्म श्री, पद्म विभूषण और संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड शामिल हैं। हुसैन को तबला बजाने में तो दिलचस्पी थी ही, उन्हें एक्टिंग का भी शौक था। 1983 में जाकिर हुसैन ने फिल्म ‘हीट एंड डस्ट’ से एक्टिंग में डेब्यू किया। इसके बाद 1988 में ‘द परफेक्ट मर्डर’, 1992 में ‘मिस बैटीज चिल्डर्स’ और 1998 में ‘साज’ फिल्म में भी उन्होंने एक्टिंग में अपना हाथ आजमाया था।

    वर्ष 1978 में जाकिर हुसैन ने कथक नृत्यांगना एंटोनिया मिनीकोला से शादी की थी। वह इटैलियन थीं और उनकी मैनेजर भी। उनकी दो बेटियां हैं, अनीसा कुरैशी और इसाबेला कुरैशी। जाकिर हुसैन बिल लाउसवैस के ग्लोबल म्यूजिक सुपरग्रुप ‘तबला बीट साइंस’ के संस्थापक सदस्य भी हैं। जाकिर हुसैन अक्सर कहा करते थे कि भारतीय शास्त्रीय संगीत स्टेडियम के लिए नहीं है, बल्कि यह कमरे का संगीत है। शायद ऐसा कोई ही देश बचा हो, जहां जाकिर हुसैन ने अपना शो नहीं किया और जनता को अपनी कला का दीवाना ना बनाया हो।

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