ग्वालियर। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के ग्वालियर (Gwalior) में ट्रेन यात्रा (train journey) के दौरान में एक वाइस चांसलर (vice chancellor) को अचानक हार्ट अटैक (heart attack) आ गया था। मामले की गंभीरता को देखकर कुछ छात्रों ने कुलपति को अस्पताल पहुंचाने के लिए आनन फानन में रेलवे स्टेशन के पोर्च में खड़ी जज की कार ले गए थे। लेकिन कुलपति की जान बचाने के चक्कर में छात्रों को जेल की हवा खानी पड़ी। आखिरकार 7 दिन बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के दोनों छात्र नेताओं को जमानत मिल गई है।
जानकारी मिली है कि इस मामले में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के निर्देश पर सीआईडी जांच की जाएगी। डॉ यादव ने दोबारा से जांच के लिए निर्देश दिए हैं। ये छात्र 10 दिसंबर की रात को रेलवे स्टेशन के पोर्च से एक कुलपति की जान बचाने के लिए जज की कार इलाज के लिए ले गए थे। जिसके बाद दोनों छात्र नेताओं पर डकैती मामला दर्ज किया गया था। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में आज इन छात्रों की जमानत याचिका लगाई गई थी। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने मानवीय संवेदना के आधार पर दोनों छात्र नेताओं को जमानत दे दी है।
दरअसल, 10 दिसंबर की रात को दिल्ली में एबीवीपी के राष्ट्रीय अधिवेशन से कुछ छात्र ट्रेन में बैठकर ग्वालियर आ रहे थे। इस दौरान एक यात्री की अचानक तबियत बिगड़ गई। बाद में पता चला कि वह व्यक्ति एक विश्वविद्यालय के कुलपति हैं। छात्रों ने उन्हें बचाने के लिए ग्वालियर पहुंचने से पहले मुरैना से ही स्टेशन के अधिकारी और एंबुलेंस को सूचना दे दी, लेकिन ग्वालियर पहुंचने के बाद भी कोई एंबुलेंस नहीं मिली। स्टेशन पर उतरने के बाद भी छात्रों ने कराबी 25 मिनट तक एंबुलेंस का इंतजार करते किया।
एंबुलेंस नहीं आई तो छात्र हिमांशु श्रोत्री और सुकृत शर्मा ने पोर्च में खड़ी एक कार में प्रोफेसर रणजीत सिंह को लिटाया और अस्पताल की ओर भागे। इसके बाद गाड़ी पर मौजूद ड्राइवर ने थाने में शिकायत दर्ज कराई कि छात्रों ने जबरन गाड़ी छीन ली। छात्रों को बाद में पता चला कि वह गाड़ी एक जज की थी। इसके बाद पुलिस ने लूट का मामला दर्ज कर छात्रों को गिरफ्तार कर लिया था।
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