इंदौर। रियल इस्टेट कारोबार में तेजी तो बनी ही हुई है, वहीं कलेक्टर आशीष सिंह ने भी क्रेडाई पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक के चलते कॉलोनी सेल की कई विसंगतियों को दूर करवाया, ताकि अच्छे प्रोजेक्टोंको समय सीमा में विकास अनुमति मिल सके। वहीं अवैध कॉलोनाइजेशन को रोकने के मामले में सख्ती भी शुरू की गई है। फर्जी नामांतरण रोकने के लिए अब यह भी तय किया गया है कि जैसे ही नगर तथा ग्राम निवेश द्वारा किसी कॉलोनी का अभिन्यास स्वीकृत किया जाएगा तो उसी आधार पर एसडीओ और तहसीलदारों को यह निर्देश दिए हैं कि वे संबंधित क्षेत्र के पटवारी के जरिए खसरा अभिलेख में उसकी प्रविष्टि करवाए। साथ ही किसी खसरे पर अभिन्यास स्वीकृति के पश्चात बटांकन नहीं किए जाएं और आवेदक भू-स्वामी से इस आशय का शपथ-पत्र भी लें कि आवेदित भूमि पर पूर्व में कोई अभिन्यास मंजूर नहीं कराया गया है।
कलेक्टर आशीष सिंह ने पिछले दिनों क्रेडाई के पदाधिकारियों के साथ भी चर्चा की और विकास अनुमति, एनओसी से लेकर अन्य मामलों में आने वाली परेशानियों को समझा। क्रेडाई चेयरमैन गोपाल गोयल, सचिव अतुल झंवर और संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि कॉलोनी सेल से संबंधित कई समस्याओं का समाधान कलेक्टर ने करवाया। इससे अब जहां समय सीमा में विकास अनुमति मिल सकेगी, वहीं कार्यपूर्णता प्रमाण-पत्र से लेकर अन्य विसंगतियां दूर होंगी। बटांकन, सीमांकन के कारणया रेरा पंजीयन समय पर न होने से समय सीमा में विकसित न होने वाली कॉलोनियों के प्रकरणों की समय सीमा भी बढ़ाए जाने का अनुरोध किया गया था। एक महत्वपूर्ण निर्णय कलेक्टर ने अपने आदेश में यह भी लिया कि अब अभिन्यास मंजूरी के बाद उसमें शामिल खसरों की प्रविष्टि खसरा अभिलेख में करवा दी जाएगी, ताकि बाद में कोई फर्जी नामांतरण या अन्य अभिन्यास की मंजूरी न करवाई जा सके। एक और निर्णय कॉलोनी की बाहरी सीमा से मुख्य मार्ग और विद्यमान सडक़ के पुनर्निर्माण, चौड़ीकरण के संबंध में भी लिया गया। अब कॉलोनाइजर सरकारी जमीन से गुजरने वाले मास्टर प्लान की रोड खुद भी अनुमति हासिल कर बना सकेगा।
अगर यह रोड नगर निगम या परिषद् के अंतर्गत आती है तो निगम के झोन इंजीनियर या परिषद् के उपयंत्री प्रस्तावित रोड का प्राकलन और परीक्षण कर प्रतिवेदन तैयार करेंगे और अगर यह रोड नगरीय निकाय के बाहर ग्रामीण क्षेत्र में आती है तो संबंधित जनपद के उपयंत्री द्वारा प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जाएगा, जिसके आधार पर रोड बनाने की अनुमति जारी की जाएगी। कॉलोनी सेल के प्रभारी अपर कलेक्टर गौरव बैनल और प्रदीप सोनी द्वारा भी अब बिगड़े ढर्रे को सुधारा जा रहा है और नियमानुसार आने वाली फाइलों को तुरंत मंजूरी दी जा रही है। कलेक्टर आशीष सिंह ने अवैध कॉलोनाइजेशन रोकने के संबंध में भी स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए हैं। कृषि भूमि के छोटे-छोटे टुकड़े, जो कि प्लाटों के रूप में बेचे जाते हैं उस पर रोक लगाने, जगह-जगह ब्रोकरों द्वारा प्लाटों की बुकिंग के साथ ही यह भी तय किया कि रेरा रजिस्टर्ड ब्रोकरों द्वारा ही प्लॉटों की बुकिंगकी जा सकेगी। कृषि भूमि को छोटे टुकड़ों में बेचकर क्रेता द्वारा नामांतरण करवाकर मकान, दुकान, फार्म हाउस का निर्माण कर अवैध कॉलोनी बसा ली जाती है और फिर बाद में रहवासियों को पेयजल, रोड, ड्रैनेज, बिजली सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं के लिए परेशान होना पड़ता है। इसीलिए सभी एसडीओ, तहसीलदार को निर्देश दिए हैं कि वह टुकड़ों के रूप में भूखंडों के विक्रय और नामांतरण पर रोक लगाएं। कल ही कलेक्टर के निर्देश पर मालवा उत्सव में लगे एक अवैध कॉलोनी के स्टॉल पर एसडीएम राऊ विनोद राठौर और तहसीलदार नारायण नांदेड़ा और पटवारी दामोदर शर्मा ने छापा मारा और बिना रेरा पंजीयन अनुमतियों के डायरियों के जरिए भूखंडों की बुकिंग की जा रही थी। खुद तहसीलदार ने ग्राहक बनकर 51 हजार रुपए में भूखंड बुक करवाने के बाद छापा मारा और दिव्य वसुधा ग्रुप द्वारा बेचे जा रहे भूखंडों के काउंटर को बंद करवाते हुए वहां रखे दस्तावेज व अन्य सामग्री भी जब्त कर ली। कलेक्टर ने डायरियों पर भूखंड बेचने वाले कालोनाइजरों को भी चेतावनी दी है कि वे बिना अधिकृत मंजूरी के इस तरह से भूखंडों की बुकिंग न करें।
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