इंदौर। विधानसभा चुनाव से पहले इंदौर में 5 किलोमीटर के हिस्से में ट्रायल रन लिया जाना है, जिसके लिए सुपर कॉरिडोर पर प्रायोरिटी ट्रैक पर तेज गति से काम शुरू किया जा रहा है, जिसके चलते मैन केरेजवे यानी सुपर कॉरिडोर के मैन हिस्से में लगभग 4 महीने के लिए यातायात बंद करते हुए दोनों तरफ की सर्विस रोड पर उसे शिफ्ट किया जाएगा। गांधी नगर से लेकर प्राधिकरण द्वारा बनाए गए आठ लेन के ओवरब्रिज के थोड़ा पहले तक यह 5 किलोमीटर लम्बाई का प्रायोरिटी ट्रैक है, जिस पर अब 24 ही घंटे युद्ध स्तर पर काम शुरू होगा, ताकि अगले साल सितम्बर तक मेट्रो का ट्रायल रन लिया जा सके।
गांधी नगर के पहले बनने वाले मेट्रो स्टेशन का भी काम शुरू हो गया है। मेट्रो रेल कार्पोरेशन के एमडी मनीष सिंह ने काम की गति बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। मेट्रो प्रोजेक्ट के पहले चरण का काम सुपर कॉरिडोर से लेकर एमआर-10, विजय नगर चौराहा, रेडिसन से लेकर रोबोट चौराहा तक इन दिनों चल रहा है। साढ़े 17 किलोमीटर के इस हिस्से में पिलर्स का निर्माण लगभग पूरा हो गया है। वहीं सेगमेंट लॉन्चिंग लगातार की जा रही है। दूसरी तरफ मध्य क्षेत्र में अंडरग्राउंड मेट्रो पर भी जल्द निर्णय लिया जाना है। कार्पोरेशन के एमडी मनीष सिंह के मुताबिक अभी सुपर कॉरिडोर के जिस हिस्से में अघले साल ट्रायल रन होना है उस पर काम की गति बढ़ाई जा रही है। अब 5 किलोमीटर के इस हिस्से को प्रायोरिटी ट्रैक नाम दिया गया है, जिसके चलते सुपर कॉरिडोर पर चूंकि यातायात जारी रहता है इसलिए काम करने में परेशानी हो रही है।
लिहाजा मैन कैरेजवे का यातायात दोनों तरफ की सर्विस रोड पर शिफ्ट किया जाएगा। तीन से चार महीने तक यह काम चलेगा। यहां तक कि प्रवासी भारतीय सम्मेलन और इन्वेस्टर्स समिट के लिए आने वाले मेहमानों के साथ-साथ वीवीआईपी का मूवमेंट भी सुपर कॉरिडोर से ही होगा। लिहाजा दोनों तरफ के सर्विस रोड पर यातायात शिफ्ट करेंगे। दूसरी तरफ मेट्रो प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि संभवत: 20 दिसम्बर के बाद यातायात डायवर्शन कर दिया जाएगा। दोनों तरफ की सर्विस रोड भी अच्छी है, जिसके चलते सुगम यातायात में दिक्कत नहीं होगी। गांधी नगर में भी मेट्रो स्टेशन का काम शुरू हो गया है। वहीं 5 किलोमीटर का हिस्सा गांधी नगर से लेकर ओवरब्रिज तक जाता है। पिछले दिनों रीगल से लेकर बड़ा गणपति तक भूमिगत यानी अंडरग्राउंड को लेकर विरोध के स्वर भी नजर आए, जिसके चलते अब इस हिस्से पर मेट्रो किस तरह चलेगी उस पर भी निर्णय लिया जाएगा। हालांकि यह हिस्सा अंडरग्राउंड ही रहेगा, क्योंकि घने क्षेत्र में एलिवेटेड कॉरिडोर व्यवहारिक रूप से भी अमल में लाना संभव नहीं होगा।
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