नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था (economy) खपत में कम वृद्धि की चुनौती का सामना कर रही है। इसकी प्रमुख वजह है उच्च महंगाई (high inflation) का निम्न आय वर्ग के लोगों को प्रभावित करना। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा, देश (Country) की अर्थव्यवस्था अब सामान्य से कम मानसून और उच्च वैश्विक तेल (high global oil) कीमतों के दोहरे झटके से निपटने की जुझारू क्षमता रखती है। लेकिन, खपत बढ़ाने के लिए महंगाई को नीचे लाना एक बड़ी चुनौती है। महंगाई घटने पर ही लोगों के हाथ में खर्च के लिए अधिक पैसा (Paisa) आएगा।
महंगाई में एक फीसदी अंक की कमी से जीडीपी में 0.64 फीसदी की वृद्धि होगी या पीएफसीई (निजी अंतिम उपभोग खर्च) में 1.12 फीसदी अंक की वृदि्ध होगी। अगर महंगाई को एक फीसदी तक कम किया जा सकता है तो यह जीत की स्थिति होगी। पीएफसीई व्यक्तियों की ओर से व्यक्तिगत उपभोग के लिए वस्तुओं और सेवाओं पर खर्च को दर्शाता है।
आर्थिक वृद्धि सरकारी खर्च से आगे बढ़ती है। खर्च के लगातार ऊंचे स्तर पर रहने से राजकोषीय घाटे और कर्ज के लिए जोखिम पैदा होता है। इससे ब्याज दरें ऊंची बनी रहेंगी।
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