7 से 9 सितंबर के बीच बैंगलुरु में केंद्रीय परिवहन मंत्रालय आयोजित कर रहा ‘मंथन’ सम्मेलन, पूरे देश के अधिकारी होंगे शामिल
इन्दौर। केंद्रीय सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (Union Ministry of Road Transport and Highways) द्वारा 7 से 9 सिंतबर के बीच बैंगलुरु में ‘मंथन’ सम्मेलन का आयोजन किया गया है। इसमें पूरे देश से परिवहन और ट्रैफिक से जुड़े अधिकारी शामिल होंगे। इंदौर से भी इस सम्मेलन में अधिकारी भाग लेंगे, जो केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को शहरों में ट्रैफिक सुधार और ईंधन बचाने के लिए अपना मॉडल पेश करेंगे। अगर मंत्री इससे सहमत होते हैं तो इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा।
इंदौर से इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए एआरटीओ हृदयेश यादव का नाम चुना गया है। उन्होंने अपना मॉडल मंत्रालय को भेजा है, जिसका सम्मेलन के दौरान ही वे प्रजेंटेशन भी देंगे। उनके साथ ही प्रदेश से परिवहन विभाग और ट्रैफिक पुलिस के भी कुल पांच अधिकारी इस सम्मेलन में शामिल होंगे। एआरटीओ यादव ने बताया कि उन्होंने जो मॉडल बनाया है, उसमें कई बिंदुओं को शामिल किया गया है। इसमें सबसे ज्यादा जोर नेशनल हाईवे और स्टेट वे की तरह सिटी वे पर दिया गया है। उन्होंने बताया कि ये सिटी वे नॉन स्टॉपिंग होंगे। ये ऐसे शहरों में बनाए जाएं, जहां की आबादी 15 लाख से ज्यादा है। ऐसे हर शहर को इसके लिए हर साल एक हजार करोड़ का बजट दिया जाए। इसमें केंद्र 60 प्रतिशत, राज्य 25 और शहर 15 प्रतिशत खर्च उठाएगा। ये शहर के बाहरी हिस्सों से होते हुए पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण को जोडऩे का काम करेंगे। इसमें कहीं कोई रुकावट नहीं होगी। जंक्शन होने पर वहां फ्लायओवर या अंडरपास बनाए जाएंगे। इससे शहरी मार्गों पर भी वाहनों का दबाव कम होगा।
कार्बन उत्सर्जन में भी आएगी कमी
एआरटीओ यादव ने बताया कि उन्होंने एक स्टडी की है, जिसमें शहर के एक कोने से दूसरे कोने पर जाते वक्त वाहनों को कई ट्रैफिक सिग्नल पर रुकना पड़ता है। ज्यादातर पर वाहन चालक इंजन बंद नहीं करते हैं। इससे इंदौर जैसे शहर में रोजाना 16 हजार लीटर ईंधन बर्बाद हो जाता है। अगर नॉन स्टॉप सिटी वे बनते हैं तो इस ईंधन को बचाया जा सकेगा। इससे कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी और सिटी को कार्बन क्रेडिट भी मिलेगी।
टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से दूर की जा सकती है ट्रैफिक समस्या
अपने मॉडल में एआरटीओ यादव ने शहरों में ट्रैफिक समस्या के सुधार के लिए टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर जोर देते हुए कहा कि टेक्नोलॉजी की मदद से ट्रैफिक की समस्या को सुलझाया जा सकता है। इसके लिए हमें चौराहों पर लगे कैमरों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सिस्टम के साथ जोडऩा होगा। ये सिस्टम किसी भी क्षेत्र में किसी लेन पर अगर वाहनों का भारी दबाव देखेगा तो ट्रैफिक सिग्नल को ग्रीन करते हुए उसे रिलीज कर देगा। अभी सिग्नल रोड खाली हो या जाम हो अपने समय के हिसाब से ही खुलते बंद होते हैं। एआई की मदद से इसे बेहतर बनाया जा सकता है। इसमें एम्बुलेंस के लिए भी प्राथमिकता की व्यवस्था होगी। मॉडल में ऑनबोर्ड ड्राइवर असिस्टेंस एंड वार्निंग सिस्टम का भी सुझाव है, जिसमें चारों ओर से वाहन के संचालन पर नजर रखी जाएगी और गलत ड्राइविंग या कोई और कमी होने पर तुरंत अलर्ट के माध्यम से दुर्घटनाओं को रोका जा सकेगा। इसके साथ ही स्कूल से लेकर कॉलेज तक ट्रैफिक को अनिवार्य विषय बनाए जाने का भी सुझाव उन्होंने रखा है।
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