इंदौर। बीते दिनों ट्रेन (train) की पटरी पर मिली एक युवक की अधजली लाश को पहले हत्या (murder) या आत्महत्या (suicide) माना जा रहा था, लेकिन बाद में खुलासा हुआ कि फैक्ट्री (factory) में लापरवाही से हुई मौत के बाद फैक्ट्री मालिक (factory owner), उसके बेटे और नौकर ने षड्यंत्रपूर्वक लाश को पटरी पर ठिकाने लगाया, ताकि वह लापरवाही से हुई मौत का आरोपी नहीं बने।
बाणगंगा पुलिस (banganga police) को 1 अगस्त को सुखलिया रेलवे लाइन (railway line) पर एक लाश मिली थी। मौके की स्थिति को देखते हुए लग रहा था कि या तो किसी ने इसकी हत्या कर शव जलाकर पटरी पर फेंका या फिर यह आत्महत्या का मामला है। इन दोनों बिंदुओं की पुलिस जांच कर ही रही थी कि पुलिस को जांच का एक और बिंदु मिला। मृतक की पहचान 21 साल के प्रद्युम्न पिता बल्लू पाल निवासी जगन्नाथ नगर के रूप में हुई। प्रद्युम्न की लाश पर जले हुए प्लास्टिक के अवशेष भी मिले। आगे की जांच में खुलासा हुआ कि प्रद्युम्न सुखलिया सेक्टर डी में हरीश चौहान की प्लास्टिक वेस्ट से गट्टे बनाने की फैक्ट्री में प्लास्टिक गलाने की मशीन पर काम करता था। 30 जुलाई की रात 9 बजे वह फैक्ट्री में काम करने के लिए अंदर भी गया था। इसके बाद 1 अगस्त को पटरी पर उसकी लाश मिली।
फैक्ट्री मालिक पूछताछ में टूट गया…कबूला षड्यंत्र
इतनी पड़ताल के बाद पुलिस के सामने कहानी स्पष्ट हो गई कि उसके साथ फैक्ट्री में कुछ हुआ है। पुलिस ने फैक्ट्री मालिक हरिश को हिरासत में लेकर एक टीम को उससे पूछताछ में लगाया। दूसरी टीम फैक्ट्री का निरीक्षण करने पहुंची। पुलिस के साथ एफएसएल की टीम भी थी। इस दौरान पता चला कि उस रात मशीन में फाल्ट हुआ था। दूसरी टीम ने हरीश से पूछताछ में सख्ती दिखाई तो वह टूट गया और बताया कि उस रात मशीन में ज्यादा प्रेशर होने से प्लास्टिक ब्लास्ट हुआ और मशीन से बाहर निकलकर प्रद्युम्न पर गिर गया, जिससे वह बुरी तरह जल गया था। उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी। हरीश ने बेटे विवेक और नौकर गोपालसिंह को बुलाया और पुलिस को घटना की सूचना नहीं देते हुए तीनों लाश को रेलवे पटरी पर फेंक आए। यही नहीं, प्रद्युम्न की लाश के पास उसकी साइकिल और अन्य सामान भी फेंक दिया, ताकि हादसे में मौत होना लगे।
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