नई दिल्ली: बांग्लादेश में इस वक्त मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार है. शेख हसीना की सरकार को गए एक महीने से ज्यादा वक्त हो गया है. हसीना का आगे भविष्य क्या होगा, ये तो कोई नहीं जानता लेकिन बांग्लादेश अब धीरे-धीरे उसी दिशा में आगे बढ़ता दिख रहा है, जिसका पूर्व पीएम ने डर जताया था. बांग्लादेश में इस वक्त अमेरिकी डेलिगेशन मौजूद है. यूनुस की सरकार अमेरिका के डेलिगेशन को खाने में जमकर बांग्लादेश की मशहूर हिलसा मछली परोस रही है. ऐसा होना लाजमी भी है क्योंकि नई सरकार के आते ही अमेरिका ने बांग्लादेश में जमकर निवेश करने की इच्छा जो जताई है.
मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार अमेरिका के इस कदम से गदगद है. वो इसे बांग्लादेश के हित में बता रही है. अमेरिकी डेलिगेशन ने बांग्लादेश को उसके आर्थिक विकास में सहायता के लिए 202 मिलियन डॉलर की अतिरिक्त सहायता देने का वादा किया है. ढाका में अमेरिकी दूतावास की तरफ से कहा गया कि बांग्लादेश के विकास को आगे बढ़ाने के लिए वो समर्पित हैं लेकिन यह सवाल उठना लाजमी है कि करीब एक साल पहले तक बांग्लादेश को आंखे दिखाने वाला अमेरिका अचानक इतना मेहरबान कैसे हो गया है.
सरकार जाने से कुछ महीने पहले ही शेख हसीना ने कहा था कि कुछ गोरे लोग मिलकर उनकी सरकार का तख्तापलट करना चाहते है. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने इस देश के लोगों को बांग्लादेश में अपना एयरबेस बनाने की इजाजत नहीं दी थी. हसीना का इशारा सीधे तौर पर अमेरिका की तरफ था. अब हसीना सरकार जा चुकी है और अमेरिका फिर से बांग्लादेश की नई सरकार से अपनी दोस्ती गांठने में जुटा है. ऐसे में यह समझना ज्यादा मुश्किल नहीं है कि इसके पीछे अमेरिका की मंशा क्या है. अगर हसीना का यह डर सच साबित होता है तो भारत के लिए भी यह अच्छा नहीं होगा. भारत नहीं चाहेगा कि हिंद महासागर में अमेरिका सुरक्षा बलों की मौजूदगी बढ़े.
शेख हसीना ने अपने बयान में बिना नाम लिए यह भी कहा था कि अमेरिका बांग्लादेश और म्यांमार दोनों देशों के टुकड़े करना चाहता है. उनकी योजना एक किस्चियन देश बनाने की है जो बांग्लादेश और म्यांमार से मिलकर बनाए जाएंगे. अगर हसीना का डर सही साबित हुआ तो यह मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के लिए यह खतरे की घंटी है.
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