नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में 100 रुपये प्रति लीटर से ऊपर पहुंच रही पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने रिजर्व कच्चे तेल के इस्तेमाल की रणनीति बनाई है। इससे वैश्विक बाजार में महंगे क्रूड के आयात से बचने के साथ घरेलू बाजार में भी ईंधन सस्ता करने में मदद मिलेगी।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, भारत अपने कुल तेल भंडार का 50% वाणिज्यिक इस्तेमाल करेगा। इसके तहत 3.65 करोड़ बैरल क्रूड (50 लाख टन) तेल शोधन कंपनियों को कम कीमत पर दिया जाएगा। तेल की बिक्री से मिले फंड का इस्तेमाल और रिजर्व टैंक बनाने में होगा। साथ ही कंपनियों पर अंतरराष्ट्रीय बाजार का दबाव भी घटेगा और क्रूड के सस्ता होने पर वे दोबारा बड़ी मात्रा में आयात करेंगी।
गौरतलब है कि तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) व अन्य सहयोगी देशों की ओर से क्रूड उत्पादन में प्रतिदिन 70 लाख बैरल कटौती किए जाने के बाद वैश्विक बाजार में कच्चे तेल के दाम 77.84 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गए। इसके बाद चीन, जापान, दक्षिण कोरिया जैसे बड़े आयातक देशों ने अपने भंडार का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। अब भारत भी इसमें शामिल हो रहा है।
15 लाख टन क्रूड का निर्यात करेंगी कंपनियां
रिजर्व तेल का प्रबंधन करने वाली कंपनी इंडियन स्ट्रेटजिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड ने स्थानीय खरीदारों को 10 लाख टन कच्चा तेल बेचने की अनुमति दी है। निजी क्षेत्र की कंपनियों ने आयात किए 15 लाख टन क्रॅड को वापस वैश्विक बाजार में निर्यात की रणनीति बनाई है, क्योंकि भारतीय तेल शोधन कंपनियां इस महंगे क्रूड का इस्तेमाल नहीं करेंगी।
जून में नौ महीने का सबसे कम आयात
भारत ने जून में पिछले नौ महीने में सबसे कम क्रूड का आयात किया है। 2021 में अब तक कच्चे तेल के दाम 44% बढ़ चुके हैं। पिछले दिनों भारत ने सऊदी अरब से उत्पादन बढ़ाकर कीमतें थामने की गुहार लगाई थी। इस पर अरब ने पिछले साल सस्ती दरों पर खरीदे तेल का इस्तेमाल करने की नसीहत दी थी, जिस पर अब अमल शुरू हो गया है।
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