नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव (West Bengal Election 2021) के लिए तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने शुक्रवार को उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी है. TMC इस बार 294 में से 291 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. तीन सीटें सहयोगी पार्टी गोरखा जनमुक्ति मोर्चा को दी गई हैं. इस बार की लिस्ट में कई हैरान कर देने वाले आंकड़े सामने आए हैं. मसलन इस बार इस बार 50 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है. इसके अलावा इस लिस्ट में मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या कम है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ममता बनर्जी को इस बार मुस्लिम वोटों का गणित डरा रहा है?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ममता के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने एक-एक सीट के लिए खास रणनीति तैयार की है. इसी के तहत महिलाओं को तरजीह दी गई है, जबकि मुस्लिम उम्मीदवारों की संख्या घटाई गई है. इसके अलावा 28 विधायकों के टिकट भी काटे गए हैं. सेलिब्रिटीज की संख्या भी सीमित रखी गई है. करीब 10 सेलेब्स को टिकट दिया गया है.
साल 2016 के चुनाव में ममता बनर्जी को मुसलमानों ने दिल खोल कर वोट दिया था. इस बार भी उन्हें मुस्लिम वोटरों से उम्मीद है, लेकिन फिलहाल दो नेताओं ने उनका खेल खराब कर दिया है. ये हैं फुरफुरा शरीफ दरगाह के प्रमुख पीरजादा सिद्दीकी और एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी. सिद्दकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) ने कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन में शामिल होने का ऐलान किया है. कहा जा रहा है कि सिद्दीकी की मुसलमानों के बीच जबरदस्त पकड़ है. इसके अलावा ओवैसी भी मुसलमानों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं. ऐसे में मुस्लिम वोट बंट सकते हैं, जिसका सीधा फायदा BJP को मिल सकता है.
आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2011 में TMC ने मुस्लिम समुदाय से 28 कैंडीडेट्स उतारे थे. साल 2016 में ये संख्या बढ़कर 57 पर आ गई. लेकिन इस बार ममता बनर्जी ने सिर्फ 42 मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है.ममता को इस बात का डर है कि कहीं हिंदू वोटों का धुव्रीकरण न हो जाए. लिहाजा उन्होंने मुस्लिम उम्मीदवारों को कम कर हिंदू कैंडीडेट्स की संख्या बढ़ाई है. पश्चिम बंगाल में 70 फीसदी आबादी हिंदुओं की है. जबकि 27 फीसदी मुस्लिम आबादी है.
पश्चिम बंगाल में लगभग 22 प्रतिशत मुसलमान कोलकाता शहर में रहते हैं, जबकि उनमें से अधिकांश (लगभग 67 प्रतिशत) मुर्शिदाबाद जिले में रहते हैं. दूसरी और तीसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी उत्तरी दिनाजपुर (52 फीसदी) और मालदा (51 फीसदी) में है. 2016 के विधानसभा चुनावों में, तृणमूल लगभग 90 मुस्लिम बहुल विधानसभा क्षेत्रों में आगे थी. जिन क्षेत्रों में मुसलमानों में 40 प्रतिशत से अधिक मतदाता हैं, टीएमसी ऐसे 65 विधानसभा क्षेत्रों में से 60 में आगे थी.
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