नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस (TMC) का पांच सदस्यीय एक संसदीय प्रतिनिधिमंडल पार्टी प्रवक्ता साकेत गोखले की गिरफ्तारी के सिलसिले में जन प्रतिनिधित्व अधनियम (आरपीए एक्ट) के कथित उल्लंघन का मुद्दा उठाने के लिए सोमवार को निर्वाचन आयोग जाएगा। टीएमसी ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल में लोकसभा सदस्य सौगत रॉय और कल्याण बनर्जी, राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर रॉय, मौसम नूर और डेरेक ओब्रायन होंगे। इससे पहले, पार्टी ने चुनाव आयोग को एक ज्ञापन भेजा था, जिसमें उससे गोखले के खिलाफ गुजरात पुलिस द्वारा शुरू की गई कार्रवाई की फौरन जांच करने का अनुरोध किया गया था। साथ ही, उनके सभी कथित शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न को बंद करने का आग्रह किया गया था।
टीएमसी ने बताया जनप्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन
टीएमसी ने आरोप लगाया है कि गोखले पर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम,1951 की धारा 125 लगाई गई है, जो चुनाव के सिलसिले में वर्गों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने से संबद्ध है। गोखले को मोरबी (गुजरात) पुल हादसे के बाद प्रधानमंत्री के वहां के दौरे के बारे में एक ट्वीट करने को लेकर गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद पत्र सूचना कार्यालय ने संबद्ध सूचना को फर्जी करार दिया था।
टीएमसी ने आरोप लगाया कि गोखले को गुजरात पुलिस ने राजस्थान पुलिस को कोई सूचना दिये बगैर छह दिसंबर को जयपुर से गिरफ्तार किया था। उन्हें अहमदाबाद ले जाया गया, जहां उन्हें आठ दिसंबर को एक अदालत ने जमानत दे दी, लेकिन कुछ ही घंटे बाद एक अन्य मामले में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। गोखले को बाद में दूसरे मामले में नौ दिसंबर को जमानत मिल गई।
मोरबी हादसे पर PM मोदी को बदनाम करने का था आरोप
एक दिसंबर, 2022 को, TMC के प्रवक्ता साकेत गोखले ने दावा किया था कि पुल ढहने की घटना के बाद गुजरात में पीएम मोदी की मोरबी यात्रा के लिए केवल कुछ घंटों के लिए 30 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। तथाकथित रिपोर्ट का हवाला देते हुए गोखले ने दावा किया था कि 5.5 करोड़ रुपये विशुद्ध रूप से स्वागत, कार्यक्रम प्रबंधन और फोटोग्राफी के लिए थे। उन्होंने यह भी दावा किया कि मोदी के इवेंट मैनेजमेंट और पीआर की कीमत 135 लोगों के जीवन से अधिक है। क्योंकि त्रासदी के 135 पीड़ितों के परिवारों को प्रत्येक को केवल 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी गई।
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