हर साल 10 नवंबर को विश्व टीकाकरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। हर साल, लगभग 3 मिलियन लोगों को टीकाकरण की मदद से कई खतरनाक रोगों जैसे निमोनिया, हेपेटाइटिस, डिप्थीरिया, खसरा और हैजा से बचाया जाता है। बच्चे के पैदा होने के बाद उसे भी कुछ खास दवाएं टीके की मदद से दी जाती हैं। छोटे बच्चों का इम्यून सिस्टम इतना स्ट्रॉन्ग नहीं होता कि वो वायरस और बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ सके। इसी इम्यून को मजबूत बनाने के लिए उन्हें टीका लगाया जाता है। WHO की मानें तो टीकाकरण की वजह से हर साल तकरीबन 20 से 30 लाख बच्चों को मौत से बचाया जाता है।
टीके कैसे काम करते हैं
टीके रोग पैदा करने वाले जीवाणुओं की नकल करके काम करते हैं और जिससे शरीर में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पैदा होती है। इस प्रकार उत्पादित एंटीबॉडी, शरीर की मेमोरी कोशिकाओं में बने रहते हैं और यदि वास्तविक संक्रमण होता है, तो शरीर रक्षा तंत्र के साथ तैयार रहता है।
टीकाकरण से जुड़ी जरूरी बातें
18 साल के हो गए हैं, तो हेपेटाइटस बी का टीका जरूर लगवाएं। हेपाटाइटिस बी वायरस की वजह से होने वाली एक संक्रामक बीमारी है, जो लीवर को प्रभावित करती है।
हर 10 साल के बाद टेटनस टॉक्साइड का टीका और हर 5 साल के बाद एक्स्ट्रा डोज लेनी चाहिए।
60 साल से अधिक उम्र जिनकी होती है, उन्हें हरपस जस्टर का टाकी लगवाना चाहिए। दरअसल, बुजुर्गावस्था में इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है, इसलिए यह टीका लगवाने की जरूरत पड़ती है।
समय-समय पर टीका लेने से आप दूसरों की तुलना में कम बीमार पड़ेंगे।
टीकाकरण से दिल और डायबिटीज के मरीजों को गंभीर स्थितियों में बचाया जा सकता है।
गर्भवती महिलाओं के लिए भी टीका लगवाना बेहद जरूरी होता है। इससे मां और बच्चा दोनों स्वस्थ रहते हैं।
‘जानलेवा बीमारियों से बचे रहने के लिए इम्युनिजेशन बहुत ही सस्ता और प्रभावी तरीकों में से एक है। पूरी दुनिया में हर साल 5 लाख बच्चों की मौत इम्युनिजेशन की कमी से होती है और भारत में इस आंकड़े से 20% से ज्यादा बच्चों की मौत होती है। पूर्ण रूप से प्रतिरक्षित (इम्मुनाइज़्ड) बच्चों की तुलना में आंशिक रूप से इम्मुनाइज़्ड और अनइम्मुनाइज़्ड बच्चों में कम्युनिकेबल बीमारियों से मरने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। हमें कई स्तरों पर काम करने की जरुरत है। जैसे इसके बारे में जागरूकता बढ़ाना, बीमारियों को ख़त्म करने के लिए अभियान शुरू करना और इम्युनिजेशन प्रक्रिया में स्कूलों को शामिल करना आदि। प्राइवेट सेक्टर को भी माता-पिता तक पहुंचने और इम्युनिजेशन के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने में भूमिका निभानी चाहिए।’
डॉ पी वेंकटा कृष्णन, इंटरनल मेडिसिन, पारस हॉस्पिटल, गुड़गांव
प्रमुख टीके
– बच्चे के लिए सबसे पहला जरुरी टीका है BCG का टीका, जो पैदा होने के 2 सप्ताह के अंदर लगवाना चाहिए। ये टीका खसरा से बचाव के लिए लगाया जाता है।
– हेपेटाइटिस बी का टीका जिसका पहला टीका जन्म के बाद और दूसरा टीका 4 हफ्ते, तीसरा 8 हफ्ते बाद लगाया जाता है।
– हेपेटाइटिस एक का टीका, जो एक बार जन्म के 1 साल के बाद और दोबारा टीका पहले वाले के 6 महीने बाद लगाया जाता है।
– डीटीपी का टीका- जन्म के 6 सप्ताह बाद पहला टीका उसके बाद कई बार और लगाना पड़ता है।
– रोटावायरस वैक्सीन- ये वैक्सीन 2, 4 और 6 माह की उम्र में लगता है।
– टायफॉइड वैक्सीन- पहला टीका 9 महीने बाद और दूसरा 15 महीने बाद
‘बच्चों में कम्युनिकेबल और इंफेक्शन वाली बीमारियों को रोकने में इम्युनिजेशन प्रक्रिया बहुत ही सस्ती और प्रभावकारी होती है। इम्युनिजेशन के लिए बिना वैक्सीन की ये रोकथाम वाली बीमारियां बच्चों में जानलेवा बन जाती है। अगर आप अपने बच्चे को सभी जरूरी वैक्सीन से युक्त करना चाहते है तो बच्चे का जन्म किसी संस्थान में कराएं जैसे कि किसी हॉस्पिटल या हेल्थकेयर सेंटर में ट्रेंड मेडिकल प्रोफेशनल की निगरानी में बच्चे को जन्म देना। सूजन, लाल होने या मामूली बुखार जैसे मामूली साइड इफेक्ट को छोड़कर इम्युनिजेशन एक सुरक्षित प्रक्रिया होती है और मां से प्राप्त एंटीबॉडी के बाद बच्चे को बीमारियों से बचाने के लिए यह महत्वपूर्ण होती है।
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