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    अब रिटायर होने का समय, आदित्य संभालें शिवसेना की कमान : संजय राउत

  • January 11, 2023

    मुंबई (Mumbai)। उद्धव ठाकरे गुट (Uddhav Thackeray faction) के राज्यसभा सांसद संजय राउत (Rajya Sabha MP Sanjay Raut) अपने बयानों के लिए चर्चा में रहते हैं। संजय राउत ने कहा है कि पार्टी में अब हमारे जैसे लोगों को अगली सीट से पीछे की सीट पर जाने का समय आ चुका है। शिवसेना की कमान (Shiv Sena command) अब नई पीढ़ी (new generation) को सौंपनी चाहिए। मैं इसी नजरिए से आदित्य ठाकरे (Aditya Thackeray) को देखता हूं। इसके आगे राउत ने कहा कि आदित्य ठाकरे (Aditya Thackeray) दिन-ब-दिन परिपक्व हो रहे हैं। उन्हें राजनीति के दांव-पेच और बारीकियां भी समझ में आने लगी हैं। आदित्य ठाकरे के पास युवासेना को संभालने का बड़ा अनुभव है। इतना ही नहीं उन्होंने महाविकास अघाड़ी सरकार (Mahavikas Aghadi Government) में बतौर मंत्री भी बेहतरीन काम किया है। राउत के बयान के बाद एक सवाल यह उठ रहा है कि क्या वह उद्धव ठाकरे की भाषा बोल रहे हैं? क्या उद्धव के इशारे पर संजय राउत ऐसा बयान दे रहे हैं?


    ‘अब राजनीति से एग्जिट लेने का समय आ चुका है’
    संजय राउत ने उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य की तारीफ करते हुए कहा, ‘युवा नेतृत्व के पास शिवसेना की कमान दिए जाने के लिए मुझे आदित्य ठाकरे सर्वगुण संपन्न नजर आते हैं।’ संजय राउत (Sanjay Raut) ने कहा कि आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव भी आदित्य ठाकरे के नेतृत्व में लड़े जाएंगे। संजय राउत ने यह बयान मटा कैफे प्रोग्राम में दिया है। मटा कैफे में संजय राउत ने कहा कि अब राजनीति से एग्जिट लेने का समय आ चुका है। उन्होंने आने वाले कुछ वर्षों में राजनीतिक संन्यास (Retirement From Politics) लेने के संकेत भी दिए।

    पात्रा चॉल घोटाले में तीन महीने से ज्यादा जेल में रहे राउत
    शिंदे-फडणवीस सरकार के सत्ता में आने के बाद संजय राउत की मुश्किलें काफी बढ़ गई थीं। गोरेगांव वेस्ट के पात्रा चॉल घोटाले में राउत को तीन महीने से ज्यादा मुंबई की आर्थर रोड जेल में बिताने पड़े। इसके बाद उन्हें जमानत पर रिहा किया गया। इस दौरान शिवसेना में भी बड़े बदलाव हुए। पार्टी का नाम, चुनाव चिह्न सब बदल गया। कल तक उद्धव ठाकरे के लिए जीने-मरने की कसम खाने वाले कई करीबी नेताओं ने भी उनका साथ छोड़ एकनाथ शिंदे गुट का दामन थाम लिया।

    आदित्य को कैसे देखते हैं?
    जब संजय राउत से यह सवाल पूछा गया कि वह आदित्य ठाकरे के नेतृत्व की तरफ किस नजरिए से देखते हैं? तब जवाब देते हुए संजय राउत ने कहा कि जिस नजर से उद्धव ठाकरे आदित्य को देखते हैं, बिल्कुल उसी नजर से मैं आदित्य की तरफ देखता हूं। शिवसेना पार्टी ठाकरे के नाम पर खड़ी है। ठाकरे नाम पर महाराष्ट्र की जनता का अपार प्रेम और श्रद्धा है। ठाकरे घराने के आदित्य ठाकरे के नेतृत्व में पार्टी अब धीरे-धीरे उभर रही है। बीते 30-35 सालों से हम पार्टी नेतृत्व के लिए काम कर रहे हैं। मैं भी पार्टी में नेता और सांसद के रूप में काम कर रहा हूं। बीते 30 सालों से सामना अखबार का संपादक हूं। इन सबके बावजूद अब ऐसा लगता है कि हम जैसे लोगों के पीछे बैठने का समय आ चुका है, ताकि नई पीढ़ी को पार्टी की कमान सौंपी जा सके और उन्हें पार्टी को बढ़ाने का मौका दिया जा सके। आखिर हम कितने साल और काम करेंगे? कभी न कभी तो हमें रिटायरमेंट लेना पड़ेगा। इसलिए सही समय पर रिटायरमेंट होना चाहिए। जब हम रिटायरमेंट लें, तब तक नई पीढ़ी के हाथ में पार्टी की कमान जानी चाहिए। इसके लिए आदित्य ठाकरे के अंदर मुझे सभी गुण नजर आते हैं।

     

    पार्टी संकट और चुनावों के लिए कितने तैयार हैं आदित्य ठाकरे
    संजय राउत से जब यह सवाल पूछा गया कि अगले साल विधानसभा और लोकसभा के चुनाव होने हैं। इसके अलावा पार्टी भी भीषण संकट का सामना कर रही है। ऐसे में आदित्य ठाकरे को पार्टी की कमान दी जाएगी क्या? इस सवाल के जवाब में संजय राउत ने कहा कि आदित्य ठाकरे को अगर पार्टी की कमान दी गई तो इसमें दिक्कत क्या है? अभी भी शिवसेना के तमाम अहम फैसलों में उनका मत महत्वपूर्ण होता है। युवासेना के रूप में उन्होंने एक प्रमुख संगठन भी तैयार किया है। इसके बाद शिवसेना के नेताओं की मंडली में भी अब उनका नाम शुमार होने लगा है। धीरे-धीरे उनका नेतृत्व भी निखर रहा है। अगर ऐसा न होता तो शीतकालीन अधिवेशन सत्र के दौरान आदित्य ठाकरे पर व्यक्तिगत हमले विरोधी दलों की ओर से न किए जाते।

    संजय राउत ने कहा कि आदित्य ठाकरे एकदम सही कहते हैं कि एक 32 साल के युवक से शिंदे-फडणवीस सरकार डर गई है। अगर यह सरकार डरी नहीं होती तो सरकार में मौजूद नेताओं ने आदित्य ठाकरे पर निजी हमले न किए होते। आदित्य ठाकरे का नेतृत्व आगे जाएगा। इसी नेतृत्व से मौजूदा सरकार को डर है। इसीलिए वह तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर आदित्य ठाकरे को बदनाम करने में जुटी है।

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