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    खेती और निर्माण कार्यों में काम आने वाले वाहनों को बीएस-5 किए जाने का समय फिर बढ़ाया

  • December 25, 2023

    इंदौर। देश में वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए पुरानी तकनीक के वाहनों पर रोक लगाने के साथ ही आधुनिक तकनीक के वाहनों को अनिवार्य किया जा रहा है। इसके लिए अप्रैल 2020 से देश में सभी दो और चार पहिया वाहनों के लिए बीएस-4 इंजन निर्माण पर रोक लगा दी गई है, लेकिन कृषि और निर्माण कार्यों में काम आने वाले वाहनों पर यह  छूट अब भी जारी है और सरकार ने इसे और आगे भी बढ़ा दिया है।

    शासन ने वाहन निर्माता कंपनियों को 2018 में ही निर्देश दे दिए थे कि 1 अप्रैल 2020 के बाद बीएस-4 श्रेणी के वाहनों का निर्माण व बिक्री बंद होगी। इसमें बड़े कमर्शियल सहित अन्य वाहनों को छूट दी गई थी। बाद में कमर्शियल वाहनों के लिए भी बीएस-6 को अनिवार्य कर दिया, लेकिन वाहन निर्माताओं की मांग पर कृषि और निर्माण कार्यों में उपयोग होने वाले वाहन जो आमतौर पर मशीनों की श्रेणी में आते हैं, को 1 अप्रैल 2024 तक के लिए छूट दी गई थी और कहा गया था कि 1 अप्रैल 2024 से वे बीएस-5 कैटेगरी के वाहन ही बना और बेच सकेंगे। लेकिन वाहन निर्माताओं की मांग पर एक बार फिर सरकार इन वाहनों के आधुनिकीकरण की समयसीमा बढ़ाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए तहत केंद्रीय परिवहन मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी करते हुए समयसीमा को 2025 और 2026 तक बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है।

    क्रेन, जेसीबी 2025 तक और ट्रैक्टर 2026 तक होंगे अपग्रेड
    शासन द्वारा जारी दो अलग-अलग नोटिफिकेशन में कंस्ट्रक्शन इक्यूपमेंट कैटेगरी में आने वाले वाहन जैसे क्रेन, जेसीबी, रोड रोलर और ग्रेडर जैसे वाहनों को 1 अप्रैल 2024 के बजाय 1 जनवरी 2025 तक बीएस-5 कैटेगरी में अपग्रेड होने का समय दिया है। वहीं कृषि में उपयोग होने वाले वाहन जैसे ट्रैक्टर और हार्वेस्टर के लिए 1 अप्रैल 2026 तक का समय बढ़ाने का प्रस्तावित नोटिफिकेशन जारी किया है। जल्द ही इसे फाइनल नोटिफिकेशन के रूप में जारी कर दिया जाएगा।

    उपयोग और बिक्री दोनों कम
    बीएस-4 श्रेणी, यानी भारत स्टेज 4 के वाहन पुरानी तकनीक पर होने के साथ ही ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं। वहीं बीएस-5 सीरिज के वाहन अपेक्षाकृत कम प्रदूषण फैलाते हैं। देश में सालों से चले आ रहे इन बीएस-4 वाहनों को अपग्रेड करने के लिए और समय मांगे जाने के लिए वाहन निर्माता कंपनियों का तर्क था कि ऐसे वाहन आम वाहनों की तरह ज्यादा नहीं चलते व इनका उपयोग मशीनों की तरह होता है।

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