हज़ारों साल नरगिस अपनी बेनूरी पे रोती है,
बड़ी मुश्किल से होता है, चमन मेंदीदावर पैदा।
मरहूम राजकुमार केसवानी का नाम ज़हन में आते ही उनके किरदार के भोत सारे रंग हमारे सामने आने लगते हैं। वो सिर्फ सहाफी ही नहीं बल्कि भोत उम्दा मुसन्निफ़ (लेखक) भी थे। खालिस भोपाली…गोया के पुराने शहर के इतवारे से लेके बुधवारे और पीर गेट से लेके लखेरेपुरे की पतली गलियों में भटकने और सेफिया कालिज में तालीम पाने के बाद राजकुमार केसवानी ने पूरे मुल्क में बतौर सहाफी अपना अलग ही मुक़ाम बनाया। बेरहम कोरोना ने उन्हें हम से छीन लिया। सहाफी के अलावा वो एक ऐसे मुसन्निफ़ थे जिसकी ज़ुबान में शुस्ता उर्दू के साथ ही हिंदी और फ़ारसी का पुट रहता। दरसल वो हिंदुस्तानी ज़ुबान की खूबसरती और रवानी के नायाब जानकार थे। आप में से कई ने राजकुमार केसवानी की किताब दास्तान-ए-मुगले आज़म पढ़ी होगी। 392 पेज की इस किताब को मंजुल प्रकाशन ने शाया किया है। इस नायाब किताब को लिखने में उन्हें 15 बरस लगे थे। इसमे मुगले आज़म के डायरेक्टर के. आसिफ सहित बॉलीवुड की इस सर्वकालिक महान फि़ल्म की मेकिंग में आई दुश्वारियों के बेहद दिलचस्प किस्से शामिल किए गए हैं। के.आसिफ के फि़ल्म को लेकर पागलपन की हद तक के जुनून और फि़ल्म से जुड़े तमाम कलाकारों के अनसुने किस्से इसमे शामिल हैं।
मधुबाला, दिलीप कुमार, पृथ्वीराज कपूर, दुर्गाखोटे, कुमार, निगार सुल्ताना, अजीत, मुराद, जिल्लो बाई सहित कई कलाकरों के यादगार किस्से इस किताब में शामिल हैं। दास्तान-ए-मुगले आजम ऐसा दस्तावेज़ है जिसे पढऩा किसी हसीन तजरबे से गुजरना है। राजकुमार केसवानी इंडियन सिनेमा से जुड़ा इतना रिफरेंस छोड़ गए हैं इतना जखीरा मुम्बई में भी किसी के पास नहीं होगा। वो फि़ल्म इंडस्ट्री के चलते फिरते रिफरेंस थे। उनके पास चालीस से पचास की दहाई के गुलुकारों (गायकों) के ईपी और एलपी रिकार्ड मौजूद थे। जो उनके बेटे रौनक केसवानी ने आज भी संभाल के रखे हैं। मरहूम राजकुुमार केसवानी का आज जि़क्रेखैर इस लिए के बॉलीवुड के मशहूर फिल्मकार और कलाकार तिग्मांशु धूलिया ने हाल ही में मुगले आज़म के निर्देशक के.आसिफ पे फि़ल्म बनाने का एलान किया है। वो इसी साल के.आसिफ की बायोपिक बनाएंगे। तिग्मांशु के मुताबिक इस बायोपिक के लिये राजकुमार केसवानी की किताब दास्तान-ए-मुगले आजम के रिफरेंस का इस्तेमाल किया जाएगा। इस किताब के ऑफिशियलराइट्स केसवानी साब के जिंदा रहते ही तिग्मांशु धूलिया ओटीटी प्रोड्यूसर प्रीति सिन्हा ने हासिल कर लिए थे। फिलहाल धुलिया लेखक इकबाल रिज़वी और कमलेश पांडे के साथ के. आसिफ की बायोपिक पे काम कर रहे हैं। ज़ाहिर है राजकुमार केसवानी की इस किताब से के. आसिफ सहित फि़ल्म से जुड़े जो किस्से और रिफरेन्स मिल सकता है वो किसी और सोर्स से नहीं मिल सकता। अगर ये फि़ल्म बनती है तो ये पहली बार होगा जब भोपाल के किसी सहाफी की किताब का इस्तेमाल किसी फिल्म निर्देशक की बायोपिक के लिए किया जाए। मालूम हो कि राजकुमार केसवानी ने दैनिक भास्कर में आपस की बात कालम बरसों लिखा। उन्होंने काशकोल, जहाने रूमी, बॉम्बे टाकीज और सातवां दरवाजा सहित 9 किताबे लिखीं थीं।