भोपाल। मध्यप्रदेश के नेशनल पार्क और अभ्यारण्य दुनियाभर में विख्यात हैं। इनमें भी पन्ना टाइगर रिजर्व की बात ही कुछ और है। कई सालों से विदेशी पर्यटकों की यह पहली पसंद बना हुआ है। हालांकि अब यह पार्क पानी में डूबने वाला है। केन-बेतवा लिंक परियोजना के कोर एरिया विस्तार के लिए यहां के जंगली जानवरों को दूसरी जगह बसाया जाएगा. इसके साथ ही 21 गांव भी विस्थापित होंगे. इसके लिए संपत्ति का सर्वे शुरू हो गया है। इधर भोपाल में भी केन-बेतवा लिंक परियोजना अथारिटी का कार्यालय इसी हफ्ते खुलने की उम्मीद है।
इस परियोजना की वजह से पन्ना टाइगर रिजर्व का करीब आधा हिस्सा पानी में डूब जाएगा। ऐसे में टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणियों को सुरक्षित दूसरे स्थान पर बसाने के लिए कोर एरिया को विस्तार देने की योजना है। इसके लिए टाइगर रिजर्व से सटे 21 गांवों के लोगों को विस्थापित किया जाएगा। इन गांवों में पन्ना जिले के 7 और छतरपुर जिले के 14 गांव हैं। राज्य सरकार ने इस संबंध में राजपत्र में भी अधिसूचना प्रकाशित कर दी है। दोनों नदियों केन और बेतवा पर बनने वाले ढोढऩ बांध में अब सबसे बड़ी अड़चन पन्ना टाइगर रिजर्व ही है। पहले यहां से वन्यप्राणियों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाना है। इसके लिए कार्यवाही तेज हो गई है। छतरपुर एवं पन्ना कलेक्टर ने भी संबंधित गांवों में संपत्ति आदि का सर्वे शुरू करा दिया है। छतरपुर कलेक्टर ने राजस्व अमले को सर्वे में गांव के प्रत्येक रहवासी की कृषि भूमि, आवासीय भूमि और अचल संपत्ति का आकलन करने को कहा है। अगले करीब आठ महीने में सर्वे आदि का काम पूरा होने की उम्मीद है। इस काम के पूरा होने के बाद लेंड ट्रांसफर (राजस्व से वनभूमि में परिवर्तित) की जाएगी। परियोजना का काम अब तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसके लिए राजस्व और जल संसाधन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर बैठकें हो रहीं हैं। इस परियोजना से मध्यप्रदेश के साथ ही उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र को भी सिंचाई एवं पीने का पानी मिलेगा।
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