भोपाल । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘अंतर्राष्ट्रीय टाइगर डे’ पर कहा कि टाइगर हमारे प्रदेश की शान हैं। श्री चौहान ने आज ट्वीट के माध्यम से कहा है ‘टाइगर हमारे प्रदेश की शान हैं। इनकी दहाड़ मध्यप्रदेश का गौरव और बढ़ाते हैं। यह गौरव सदैव अक्षुण्ण रहे, इनकी संख्या में दिनोंदिन वृद्धि हो; इस ध्येय के लिए हम सब मिलकर प्रयास करें। प्राणी और प्रकृति बचेगी, तो धरा समृद्ध होगी।’
बतादें कि पूरी दुनिया में आज अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जा रहा है। साल 2010 से ये हर साल 29 जुलाई को मनाया जाता है। इसका मकसद बाघों के सरक्षण को लेकर जागरूकता पैदा करना है। साल 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित एक शिखर सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने की घोषणा हुई थी। इस सम्मेलन में मौजूद कई देशों की सरकारों ने 2022 तक बाघों की आबादी को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया था।
वर्ल्ड वाइल्ड फंड (WWF) के अनुसार बाघों की संख्या में 20 सदी के शुरू होने के बाद से अब तक 95 प्रतिशत की कमी आई है। पूरी दुनिया में आज महज 3900 बाघ रह गए हैं। जबकि 20वीं सदी की शुरुआत में इनकी संख्या 1 लाख के करीब थी। बाघों की संख्या घटने का बड़ा कारण उनका शिकार, जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक ठिकानों और जंगलों में इंसानों की बढ़ती दखलअंदाजी रही।
भारत में बाघों को बचाने का प्रोजेक्ट 1973 में ही शुरू कर दिया गया था। इसके तहत कई टाइगर रिजर्व बनाए गए। इसका फायदा भी दिखा है। साल 1973-74 में टाइगर रिजर्व की संख्या जहां 9 थी वहीं अब ये संख्या बढ़कर 50 हो गई है। देश में लगातार बाघों की संख्या भी बढ़ी है। भारत में बाघों की आबादी 2014 में 1,400 से बढ़कर 2019 में 2,977 हो गई।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक दिन पहले मंगलवार को ही बताया कि भारत के पास धरती का काफी कम हिस्सा होने जैसी कई बाधाओं के बावजूद, यहां जैव-विविधता का आठ प्रतिशत हिस्सा है। वैश्विक भूमि का महज 2.5 प्रतिशत, चार फीसद वर्षा और विश्व की आबादी का 16 प्रतिशत होने की बाध्यता के बावजूद, भारत वैश्विक जैव-विविधता के मामले में आगे है। दुनिया की 70 प्रतिशत बाघ की आबादी आज भारत में है।
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