नई दिल्ली। शॉर्ट वीडियो मेकिंग ऐप टिकटॉक समेत चीनी ऐप के बैन होते ही भारत में रातोंरात देसी ऐप की डिमांड बढ़ गई। चिंगारी, रोपोसो, ट्रेल, शेयर चैट समेत कई देसी ऐप्स को रिकॉर्ड डाउनलोड मिले हैं। लेकिन अब इन ऐप्स कंपनियों के सामने समस्या यूजर्स खोने की है। इनके लिए यूजर्स को अपने प्लेटफॉर्म पर रोके रखना बड़ी चुनौती बन गई है। इसके लिए देसी ऐप कंपनियों ने एड़ी-चोटी की जोर लगा दी है। दरअसल, यूजर्स को देशी प्लेफार्म पसंद नहीं आ रहे हैं और वे टिकटाक का विकल्प खोजने के लिए नये एप्स को आजमा रहे हैं।
अब कंपनियां ज्यादा से ज्यादा यूजर्स को लुभाने के लिए नए-नए पैंतरे अपना रही है। ये ऐप्स अब कंम्पटीशन और फीचर्स के जरिए यूजर्स को लुभाने की कोशिश में हैं। हाल ही में KalaGato की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देसी ऐप्स का एंगेजमेंट लेवल टिकटॉक की तुलना में बेहद कम है। पहले टिकटॉक इस्तेमाल कर चुके कुछ यूजर्स को इन ऐप्स का अनुभव अच्छा नहीं लग रहा है।
टिकटॉक पर प्रतिबंध लगने के बाद भारतीय शॉर्ट वीडियो एप चिंगारी को काफी फायदा हुआ। हर घंटे इस एप को लाखों लोग डाउनलोड करने लगे और मिलियन में वीडियोज देखे जाने लगे। चिंगारी एप को अभी तक एक करोड़ से अधिक लोगों ने डाउनलोड किया है। हाल ही में पनी ने अपना पहला डिजिटल टैलेंट हंट शो पेश किया जिसे चिंगारी स्टार्स: टैलेंट का महासंग्राम नाम दिया गया।
टैलेंट का महासंग्राम के तहत बेस्ट कंटेंट क्रिएटर को एक करोड़ रुपए का इनाम दिया गया है, वहीं देश के प्रत्येक राज्य के बेस्ट कंटेंट क्रिएटर को पांच लाख रुपए इनाम देने का ऐलान किया गया है। इस शो की घोषणा करते हुए चिंगारी एप के को-फाउंडर सुमित घोष ने कहा कि इस शो का मकसद देसी टैलेंट को एक मुकाम देना है।
जानकारों का कहना है कि कोई भी ब्रांड एक रात में तैयार नहीं होता है। इन प्लेटफॉर्म को टिकटॉक के लेवल तक पहुंचने में कुछ साल लग सकते हैं। एंगेजमेंट बढ़ाना एक धीमी प्रक्रिया है। अमूमन इसमें 2 से 3 साल का समय लगता है। टिकटॉक पर जो एंगेजमेंट था, वो इनमें से किसी भी ऐप पर नहीं मिल रहा है। इन ऐप्स को कई लुभावने फीचर्स और कंम्पटीशन के बाद भी कुछ समय के लिए इंतजार करना पड़ेगा। यह एक तरह की ब्रांड बिल्डिंग प्रक्रिया है और इसमें समय लगेगा।
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