जिस मामले में बार-बार शिकायतें खारिज हुईं उसी में मुलजिम बनाया, सहअभियुक्त को बेल का मिला लाभ
इन्दौर। क्राइम ब्रांच के टीआई धनेंद्रसिंह भदौरिया (TI Dhanendrasinh Bhadauria of Crime Branch) के सस्पेंड होने की पेपर कटिंग दिखाकर आधा दर्जन मुलजिमों ने अग्रिम जमानत मांगी तो जिला कोर्ट ने उन्हें राहत दे दी। जिस मामले में बार-बार शिकायतें खारिज हुईं उसी में उनको मुलजिम बना लिया गया था, लेकिन एक सहअभियुक्त को हाईकोर्ट (High Court) से जमानत (Bail) मिलने का उन्हें लाभ मिला।
गिरफ्तारी के बाद जेल जाने से बचने के लिए मुलजिम दीपक परियानी, उसकी पत्नी लीना परियानी, विनोद परियानी तीनों निवासी इंद्रलोक कॉलोनी एवं विनोद डेम्बला निवासी पाश्र्वनाथ नगर के अलावा जितेंद्र ठाकुर व उसकी पत्नी विनीता दोनों निवासी काटजू कॉलोनी ने जिला कोर्ट में अग्रिम जमानत की अर्जी लगाई थी। उनका कहना था कि फरियादी ने झूठी रिपोर्ट लिखाई है। वह नाजायज दबाव बना रहा था, ब्लैकमेल कर रहा था। इसकी दीपक ने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत भी की थी। उनकी यह दलील भी थी कि मामला दीवानी प्रकृति का था (जिसका उल्लेख पुलिस की पूर्व में हुई जांच रिपोर्ट में भी था), फिर भी उनके खिलाफ गलत तरीके से धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर लिया गया। मुलजिमों ने मामले में 1 अक्टूबर को सहअभियुक्त जतिन सुखीजा को जमानत मिलने का हवाला देते हुए समानता के आधार पर उन्हें भी अग्रिम जमानत देने की मांग की थी। उन्होंने सुनवाई के दौरान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुबोधकुमार जैन के समक्ष टीआई के सस्पेंड होने की पेपर कटिंग भी पेश की थी, जबकि फरियादी शैलेंद्र मिश्रा ने मुलजिमों को जमानत देने पर आपत्ति लेते हुए कहा कि मामले में दीपक से पार्टनरशिप डीड जब्त की जाना बाकी है, किंतु उसकी आपत्ति को दरकिनार कर कोर्ट ने जतिन को जमानत मिलने का हवाला देते हुए सभी आधा दर्जन मुलजिमों को शर्तों के साथ अग्रिम जमानत दे दी। कोर्ट ने पुलिस को आदेश दिए कि उन्हें गिरफ्तारी की दशा में बीस-बीस हजार रुपए की जमानत पर छोड़ें।
करोड़ों की जमीन के मामले में पार्टनरशिप डीड जब्त होना बाकी
फरियादी शैलेंद्र मिश्रा ने पुलिस को शिकायत की थी कि जतिन सुखीजा व दीपक परियानी के साथ उसने वर्ष 1995 में पार्टनरशिप में राम लक्ष्मण बाजार में 1180 वर्गमीटर जमीन खरीदी थी। बाद में पार्टनरों ने उसे बिना बताए अपने रिश्तेदारों व संबंधियों को गलत तरीके से जमीन बेच दी, जिसके लिए उसके दस्तखत तक नहीं कराए। इस तरह करोड़ों रुपयों की जमीन बेचकर हजम कर ली और जब उसने जतिन व दीपक से जानकारी मांगी तो उन्होंने उसे धमकाया और मांगने पर भी एक रुपया तक नहीं मिला। जमानत पर सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि जमीन के संबंध में जांच जारी है। बार-बार नोटिस के बावजूद मुलजिम पुलिस के समक्ष बयान देने नहीं आ रहे हैं। दीपक से पार्टनरशिप डीड जब्त करना बाकी है, ऐसे में जमानत नहीं दी जाए। हालांकि पुलिस के प्रयास नाकाम रहे।
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