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    Indore: तीन साल के बच्चे ने निगला चुंबक, ऑपरेशन के दौरान हुई मौत, रिपोर्ट बताएगी मौत की वजह

  • August 10, 2021

    इंदौर। सवा तीन साल के बच्चे ने खेल-खेल में चुंबक निगल लिया. चुंबक (magnet) निकलवाने के लिए अपने बच्चे को लेकर परिजन अस्तपाल गए तो एंडोस्कॉपी (endoscopy) से चुंबक निकालने के दौरान बच्चे की मौत हो गई. जबकि यह चुंबक पिछले 11 दिन से बच्चे के पेट में ही पड़ी थी.

    29 जुलाई को निगला था चुंबक

    यह मामला इंदौर (Indore) के सिलिकॉन सिटी का है. यहां रहने वाले सुनील तिवारी के सवा तीन साल के बेटे कबीर ने 29 जुलाई को खेल-खेल में गलती से चुंबक (magnet) निगल लिया. उसके बच्चे ने यह बात अपनी मां से कही. चुंबक निगल लेने की बात जानकर पूरा परिवार चिंतित हो गया. तब घरवालों ने बच्चे का एक्सरे कराया. एक्सरे में बच्चे के पेट में चुंबक (magnet) दिख रहा था. तब घर के लोग बच्चे के पेट से चुंबक निकलवाने के लिए उसे लेकर अरिहंत अस्पताल गए. अस्पताल प्रबंधन ने एंडोस्कॉपी (endoscopy) से चुंबक (magnet) निकालने की बात कही. लेकिन उस दिन एनेस्थिसिया एक्सपर्ट न होने की वजह से उन्हें अगले दिन आने को कहा गया.

    ढाई घंटे बाद भी नहीं आया होश

    कबीर के पिता सुनील तिवारी ने बताया कि इसके बाद कबीर को खांसी और बुखार हो गया. तो डॉक्टरों ने कहा कि जब ये ठीक हो जाएगा, तब इसके शरीर से चुंबक निकाल देंगे. इसके बाद सोमवार को बच्चे की एंडोस्कॉपी की गई और उसके बाद उसे बेहोश करने के लिए एनेस्थिसिया दिया गया. डॉक्टरों ने बच्चे के पेट से निकला चुंबक भी दिखाया और कहा कि आधे घंटे में बच्चे को होश आ जाएगा. लेकिन करीब ढाई घंटे बाद डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे की मौत हो गई है. परिजनों ने आरोप लगाया कि एनेस्थिसिया की ओवरडोज से बच्चे की मौत हुई है और इसके लिए अस्पताल प्रबंधन और डॉ. सोनल निवसरकर जिम्मेदार हैं.


    मंगलवार को होगा पोस्टमॉर्टम

    इस दुखद घटना के बाद परिजनों ने पुलिस कंट्रोल रूम में सूचना दी. मामले की जानकारी होते ही पुलिस अस्पताल में पहुंची. परिजनों ने चंदननगर थाने में अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ शिकायत की है. इसके बाद बच्चे के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए एमवाय अस्पताल भेजा गया. एमवाय अस्पताल में विशेषज्ञ टीम न होने की वजह से बच्चे का पोस्टमॉर्टम मंगलवार को किया जाएगा.

    रिपोर्ट बताएगी मौत की वजह

    अरिहंत अस्पताल के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. संजय राठौर के मुताबिक, पूरी जांच के बाद ही डॉ. मयंक जैन ने एंडोस्कॉपी कर बच्चे के पेट से चुंबक निकाला था. इससे पहले ही डॉ. सोनल निवसरकर ने एनेस्थीसिया दिया था. चुंबक निकलने के बाद बच्चा रिकवर भी हुआ था. उसके बाद उसे पीआईसीयू में शिफ्ट किया गया, जहां ऑक्सीजन सेचुरेशन कम होता चला गया और बच्चे की मौत हो गई. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद ही मौत की असल वजह सामने आ पाएगी.

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