नई दिल्ली: दुनियाभर में ओमिक्रॉन (Omicron) के मामले बढ़ रहे हैं. अब तक ओमिक्रॉन के तीन रूप (Variant) पहचाने गए हैं, BA.1, BA.2 और BA.3. वैज्ञानिकों का कहना है, ओमिक्रॉन अब इन्हीं सब सब-वेरिएंट के जरिए ज्यादा तेजी से फैल रहा है. इनमें से सबसे तेजी से BA.2 वेरिएंट फैल रहा है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है, तीनों रूपों में से BA.2 ओमिक्रॉन की जगह लेता हुआ नजर आ रहा है. ब्रिटेन की हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (UK HSA) का कहना है, इसका पता लगाना मुश्किल है कि इसकी उत्पत्ति कहां और कैसे हुई है. एजेंसी ने फिलहाल इसे जांच की श्रेणी में रखा है.
कितना खतरनाक है ओमिक्रॉन का BA.2 रूप?
ब्रिटेन की हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (UK Health Security Agency) का कहना है, ओमिक्रॉन के सब-वेरिएंट वैक्सीन को भी चकमा दे सकते हैं. यही खूबी इसे संक्रामक बनाती है. इस पर और अधिक जानकारी देने के लिए इसे जांच की श्रेणी में रखा गया है. HT की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में 40 देशों में BA.2 सब वेरिएंट के करीब 8 हजार मामले सामने आ चुके हैं.
भारत, डेनमार्क और जर्मनी में भी इस वेरिएंट से संक्रमित होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ रही है. इनमें डेनमार्क सबसे आगे है. दुनियाभर के वैज्ञानिक इस वेरिएंट पर नजर रख रहे हैं. लगातार रिसर्च के जरिए यह समझने की कोशिश की जा रही है कि यह किस हद तक खतरनाक है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
ब्रिटेन की हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (HSA) में कोविड मामलों की डायरेक्टर डॉ. मीरा चांद का कहना है, वायरस का स्वभाव बदलता है, इसलिए अगर महामारी बढ़ती है तो नए वेरिएंट के पैदा होने का खतरा भी बढ़ता है. यह कितना खतरनाक हो सकता है, अभी कुछ कहना मुश्किल है.
ओमिक्रॉन पर इंपीरियल कॉलेज लंदन के महामारी विशेषज्ञ डॉ. टॉम पिकॉक का कहना है, अगर संक्रमण की गंभीरता की तुलना की जाए तो BA.2 और BA.1 सब वेरिएंट में बहुत बड़ा अंतर नहीं है. BA.2 और कितना संक्रमक हो सकता है, इस पर अभी और साक्ष्य मिलने बाकी हैं.
हेल्थ एजेंसी ने कहा है कि सबसे तेजी से फैलने वाला ओमिक्रॉन वेरिएंट के लक्षण कम गंभीर है. यूकेएचएसए का कहना है, ‘हम इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि ओमिक्रॉन की गंभीरता वयस्कों पर कम है. यूकेएचएसए ने चेतावनी दी है कि BA.2 स्ट्रेन के 53 सीक्वेंस हैं, जो काफी ज्यादा संक्रामक हैं. इसका कोई खास म्यूटेशन नहीं है, जिसके कारण इसे आसानी से डेल्टा वेरिएंट से अलग किया जा सकता है.
कैसे होगी पहचान?
विशेषज्ञों का कहना है, BA.2 की पहचान करना मुश्किल नहीं है, इसकी वजह है एक जीन. इस सब-वेरिएंट में स्पाइक S जीन नहीं होता, इसलिए पहचान करना आसान होता है. जीनोम सीक्वेंसिंग के बजाय RT-PCR जांच से ही इसकी पहचान हो सकती है.
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