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    प्रदेश में राजनीति के तीन बड़े बिन्दु, शिवराज, मोहन और सिंधिया

  • June 11, 2024

    गुटबाजी में बढ़ेगी भाजपा की राजनीति, शिवराज समर्थकों के चेहरे खिले

    इंदौर। संजीव मालवीय
    मध्यप्रदेश (MP) की राजनीति (political) में अब तीन बड़े केन्द्रीय बिंदु (Three major points) हो गए हैं। मोदी मंत्रिमंडल (Modi Cabinet) में शिवराजसिंह चौहान और सिंधिया (Shivraj Singh Chouhan and Scindia) को पॉवरफुल मंत्रालय (Powerful Ministry) देने के बाद यहां गुटबाजी के बढऩे के आसार हैं, क्योंकि दोनों नेताओं के ही कई समर्थक हैं, जो सरकार और संगठन में शामिल हैं, वहीं मुख्यमंत्री मोहन यादव (Chief Minister Mohan Yadav) का एक अलग ही गुट बन गया है।



    जब मुख्यमंत्री पद के लिए शिवराजसिंह चौहान का नाम नहीं लिया गया था, तब ही तय हो गया था कि अब उनकी भूमिका केन्द्र में ही तय होना है और पार्टी केन्द्र की राजनीति में ले जाएगी, वहीं दूसरा नाम ज्योतिरादित्य सिंधिया का है, जिनका मंत्री बनना तय था। दोनों बड़े नेताओं के केन्द्र में जाने और बड़ा मंत्रालय मिलने के बाद उनकी राजनीतिक ताकत में इजाफा देखा जा रहा है। प्रदेश में लगातार 18 साल मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने वाले शिवराजसिंह चौहान को कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री तथा ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नेता को दूरसंचार मंत्रालय देकर मोदी ने दोनों को मजबूत किया है। वैसे दोनों नेताओं का अपना एक अलग ही कद है, लेकिन शिवराज के समर्थक उनको मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद मायूस हो गए थे, लेकिन बाद में उनके चेहरे खिल गए। इसकी बानगी भाजपा कार्यालय पर विधायक मनोज पटेल द्वारा की गई आतिशबाजी के रूप में देखी गई। बताया जाता है कि करीब 2 लाख रुपए के पटाखे उन्होंने भाजपा कार्यालय पर जलाए। शिवराज केन्द्र में पॉवरफुल होने के साथ-साथ प्रदेश में भी अब राजनीति का एक बड़ा धु्रव बन गए हैं। वर्तमान मंत्रिमंडल और संसद सदस्यों में उनके समर्थक भी बड़ी संख्या में हैं। इंदौर में गोलू शुक्ला, मालिनी गौड़, महेन्द्र हार्डिया, मधु वर्मा, मनोज पटेल उनके ही खेमे के विधायक माने जाते हैं, वहीं कछ नेता ऐसे भी हैं, जो शिवराज के यहां लगातार हाजरी भराते आए हैं। पिछले दो दिनों से शिवराज समर्थकों के चेहरे फिर खिल उठे हैं। सिंधिया के इंदौर में भी कई समर्थक हैं, जिनमें मंत्री तुलसी सिलावट तो पॉवरफुल हैं ही, वहीं निगम पार्षद और भाजपा में पदाधिकारी भी सिंधिया समर्थकों को बनाया गया है। एक गुट तेजी से प्रदेश की राजनीति में उभरा है और वो है मुख्यमंत्री मोहन यादव का गुट। सामान्य राजनीति से अचानक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आए मोहन यादव के समर्थकों की संख्या प्रदेश में न के बराबर थी, लेकिन उनके पॉवर में आने के बाद उनके आगे-पीछे घूमने वाले विधायकों और नेताओं की संख्या बढ़ गई है। एक तरह से प्रदेश की स्थानीय राजनीति में तीन बड़े बिंदु होने से नेताओं का बंटवारा होगा और अलग-अलग गुट बनने के बाद एक नई राजनीतिक बाजी देखने को मिलेगी।

    विजयवर्गीय का अलग जलवा है प्रदेश और देश में

    एक बड़े गुट के रूप में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का अपना एक अलग ही जलवा कायम है। यह जलवा प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश में है। महासचिव और दूसरे राज्यों के प्रभारियों के रूप में उन्होंने न केवल अपने समर्थकों की संख्या में विस्तार किया, बल्कि उनकी कार्यशैली से प्रभावित होकर कई नेता उनसे जुड़ गए। प्रदेश सरकार में कई विधायक भी उनके ही गुट के हैं। वैसे विजयवर्गीय का नाम राष्ट्रीय नेताओं में शुमार है, लेकिन उन्होंने प्रदेश में अपनी जड़ें नहीं छोड़ी है और आज भी उसी के बल पर वे कायम हैं। विजयवर्गीय जब इंदौर या भोपाल में रहते हैं, तब उनसे मिलने के लिए दूर-दूर से आए समर्थकों का तांता लगा रहता है।

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