इन्दौर। खरगोन के टैंकर ब्लास्ट हादसे में इलाज के लिए आए 17 मरीजों में से 14 मरीजों ने अब तक दम तोड़ दिया है। 19 साल का बादल, 12 साल की शिवानी और 13 साल की लक्ष्मी अब भी मौत से लड़ रहे हैं बादल की हिम्मत देखकर डॉक्टरों में भी हौसला आया है।
कमला पति गोरेलाल और रामसिंह पिता नालसिंह की मौत के बाद खरगोन में टैंकर ब्लास्ट के मरीजों की मौत का आंकड़ा 14 पर पहुंच गया है। सबसे ज्यादा गंभीर हालत में पहुंचे मरीजों में बादल पिता भावसिंह ने जिन डॉक्टरों को अब तक डरा रखा था, वही अब डॉक्टरों की हिम्मत बन रहा है। पहले दिन से ही अचेत पड़ा बादल अब बोलने लगा है। हालत में सुधार तो है, लेकिन ड्यूटी डॉक्टरों के अनुसार बर्न के मामलो में जलने से ज्यादा गंभीर सदमा होता है। परिजनों को हिदायत दी गई है कि उसका हौसला बढ़ाते रहें और किसी भी बात की जानकारी ना दें।
साथ आए 17 साथियो की चिंता
बादल के परिजनों ने बताया कि वह बार-बार अपने साथ आए, सभी 16 जले हुए मरीजों की जानकारी चाह रहा है। हम उसे हौसला दे रहे हैं कि सभी ठीक हैं। अलग-अलग कमरों में भर्ती हैं। उसे हुई 14 मौतों की कोई जानकारी नहीं दी गई है। बादल परिवारजनों को हिम्मत दे रहा है। वह जल्दी ठीक होकर घर जाना चाहता है। हालांकि टैंकर के हादसे को यादकर डर जाता है, लेकिन उसमें हौसला और हिम्मत बहुत है।
आखिरी उम्मीद बेटी ही बची
पत्नी कमला की मौत के बाद आखिरी बची लक्ष्मी को देख पिता गोरेलाल सदमे में है। बार-बार गांव से आ रहे फोन, हालचाल पूछ रहे हैं। अपने पूरे परिवार को हादसे में खो चुके गोरेलाल के अनुसार मेरे जीवन की डोर बेटी ने सम्भाल रखी है। बेटे राहुल और बेटी सपना के बाद पत्नी कमला की भी मौत हो गई।
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