नागदा। सहारा अपनी मनमानी पर अडिग है और सरकार मौन है। इसलिए अब जमाकर्ताओं और अभिकर्ताओं ने ही सहारा के खिलाफ लड़ाई लडऩे का फैसला लिया है। रविवार को सहारा की मनमानी पर सरकारी की चुप्पी के खिलाफ निकली रैली में अभिकर्ताओं और जमाकर्ताओं का आक्रोश जमकर फूटा। सहारा इंडिया में जमा धन लौटाओ संघर्ष समिति के तत्वावधान में सुबह 11 बजे रेलवे स्टेशन से शुरू हुई रैली में बड़ी संख्या मेें अभिकर्ता व जमाकर्ताओं ने शामिल होकर सहारा के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराते हुए शासन-प्रशासन से उनका जमा पैसा लौटाने की मांग की। रैली में शामिल अभिकर्ताओं व जमाकर्ताओं के हाथों मेें मौजूद काली तख्तियों पर लिखे सहारा विरोधी नारे आक्रोश बताने के लिए काफी थे। नगर के मुख्य मार्गों से निकली रैली पुन: रेलवे स्टेशन पर समाप्त हुई।
यहां प्रधानमंत्री के नाम नायब तहसीलदार नवीन छलोत्रे को ज्ञाापन सौंपा गया। समिति संयोजक बसंत मालपानी ने कहा जनप्रतिनिधियों पर से तो जनता का भरोसा उसी दिन से उठ गया था। तब उद्योगों से निकाले गए 3500 हजार ठेका श्रमिकों के हित में उन्होंने बात नहीं की, तो अब नागदा-खाचरौद के 5 हजार जमाकर्ताओं का 300 करोड़ रुपए सहारा में अटका पड़ा है। इतने बड़े मामले में भी उनसे उम्मीद नहीं की जा सकती। इसलिए अब तक जमाकर्ताओं को उनका भुगतान नहीं हो जाता। तब तक वे समिति के माध्यम से सहारा के खिलाफ आंदोलन करते रहेंगे। वहीं प्रधानमंत्री के नाम नायब तहसीलदार छलोत्रे को सौंपे ज्ञापन में जमाकर्ताओं की इस बात के साथ अभिकर्ताओं की बेरोजगारी का मुद्दा भी उठाया गया। ज्ञापन के माध्यम से मांग की गई कि सेबी और सहारा का विवाद खत्म कर सुब्रतो रॉय व सहारा इंडिया की संपत्ति बेचकर सरकार जमाकर्ताओं को उनका पैसा दिलवाएं। ज्ञापन का वाचन कमलसिंह राठौर ने किया।
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