नई दिल्ली। देश में कोरोना संक्रमण के दैनिक मामलों में अब काफी हद तक गिरावट आ गई है। हालांकि अभी भी रोजाना 50 हजार के आसपास मामले सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में संक्रमितों की संख्या घटकर अब छह लाख 27 हजार के आसपास रह गई है। बीते गुरुवार को मंत्रालय ने बताया था कि लगातार 42वें दिन कोरोना के नए मरीजों की तुलना में ठीक होने वाली की संख्या अधिक बनी हुई है।
वहीं, देश में संक्रमण से ठीक होने की दर बढ़कर 96.61 फीसदी हो गई है। इस बीच टीकाकरण अभियान भी तेजी से चल रहा है। हर रोज 50 लाख से अधिक टीके लगाए जा रहे हैं। इस राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अब तक 30 करोड़ 16 लाख से अधिक टीके लगाए जा चुके हैं। हालांकि वैक्सीन को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह की बातें फैली हुई हैं। कहा जा रहा है कि कोरोना टीका लगवाने के बाद के तीन दिन बड़े अहम होते हैं।
देश के कुछ हिस्सों में डेल्टा प्लस वायरस के केस आए हैं, क्या यह कोरोना का एक नया स्वरूप है?
भोपाल स्थित एम्स के निदेशक डॉ. सरमन सिंह कहते हैं, ‘डेल्टा प्लस वायरस के अभी तक लगभग 40 केस आ चुके हैं। जहां तक बात इसके संक्रमण और घातक होने की है तो इसपर अभी शोध चल रहा है। वायरस की संरचना और हमारे अनुभव से ये कहा जा सकता है कि यह कम घातक नहीं होगा। एक नई दवाई आई है मोनोक्लोनल एंटीबॉडी, उससे मरीज को लगभग 12-14 घंटे में फर्क पड़ जाता है, वो दवाई इस वायरस पर काम नहीं कर रही है। जितनी तादाद में दूसरे देशों में केस देखने को मिल रहे हैं, उतने हमारे यहां नहीं मिल रहे हैं। बस इसके लिए सभी सावधानी रखें।’
ग्रामीण इलाकों में अभी भी लोग वैक्सीन को लेकर हिचकिचाहट में हैं, आप उन लोगों को क्या कहना चाहेंगे?
डॉ. सरमन सिंह कहते हैं, ‘अगर हम आंकड़े उठाकर देखेंगे तो पाएंगे कि जितनी भी वैक्सीन डोज लगी हैं, उनमें से 70 प्रतिशत मेजर सिटीज (प्रमुख शहर) में लगी हैं। केवल 25 से 30 प्रतिशत ही ग्रामीण इलाकों में लगी हैं। इसका परिणाम ये होगा कि ग्रामीण इलाके के ये 80 प्रतिशत बिना टीका लगवाए हुए लोगों में वायरस का संक्रमण बहुत तेजी से फैलेगा। यह बहुत भयानक हो सकता है।’
सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है कि कोरोना टीका लगवाने के बाद के 3 दिन बड़े अहम होते हैं, क्या कहेंगे आप?
डॉ. सरमन सिंह कहते हैं, ‘जी नहीं, इस बात में कोई सच्चाई नहीं है। दरअसल, कोई भी वैक्सीन जो बाहर से लगती है, वह दवाई का काम करती है, लेकिन ये दवाई थोड़ी सी अलग होती है। इसमें एक पदार्थ होता है जो संक्रमण को संक्रामक करने वाली चीज का ही अंग होता है, जब हम उसको शरीर के अंदर डालते हैं तो हमारा शरीर उसपर रिएक्ट (प्रतिक्रिया) करता है। जहां इंजेक्शन लगा है, वहां लाल रंग हो सकता है, सूजन आ सकती है।
अगर वहां पर सूजन आ रही है या दर्द हो रहा है तो ये अच्छी बात है, इसका मतलब है कि वैक्सीन काम कर रही है। कुछ लोगों में देखा गया है कि सिर दर्द हो जाता है, कुछ में छोटे-मोटे एलर्जिक रिएक्शन हो जाते हैं। लेकिन ये सब साइड-इफेक्ट बेहद हल्के होते हैं। जो लोग अल्कोहल का इस्तेमाल करते हैं, वह उसका सेवन 6-7 दिन तक न करें, क्योंकि उस समय वैक्सीन हमारी इम्यूनिटी बढ़ा रही होती है और अल्कोहल हमारी इम्यूनिटी को कम करता है।’
जिन युवाओं को कोरोना संक्रमण हुआ है, उनमें से कई मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से जूझ रहे हैं, कैसे निकलें इस समस्या से?
डॉ. सरमन सिंह कहते हैं, ‘जी हां, लोगों में कोरोना के समय में साइकोलॉजिकल इंफ्लूएंस देखने को मिल रहा है। इसके लिए केंद्र सरकार ने और चिकित्सा महानिदेशक, दिल्ली ने पोस्ट कोविड क्लीनिक हर अस्पताल में चलाने के लिए कहा है। वह वहां जा सकते हैं। जरूरी है कि हम वैक्सीन लगवाएं। अगर हमारा वैक्सीनेशन चलता रहा तो हम तीसरी लहर से बच सकते हैं।’
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