मुंबई। बॉम्बे उच्च न्यायालय ने अपने एक फैसले में कहा है कि पत्नी द्वारा पति को धमकाना, आत्महत्या की धमकी देना निर्दयता है और यह तलाक का आधार बन सकता है। इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने परिवार न्यायालय का फैसला बरकरार रखा और दंपति की शादी को खत्म करने आदेश दिया। बॉम्बे उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ के जस्टिस आर एम जोशी ने परिवार न्यायालय द्वारा पारित डिक्री को बरकरार रखा।
दरअसल महिला ने परिवार न्यायालय के फैसले के खिलाफ बॉम्बे उच्च न्यायालय का रुख किया था। सुनवाई के दौरान महिला के पूर्व पति ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी ने उसे आत्महत्या करने की धमकी दी और इसके आरोप में पति और उसके परिजनों को जेल भेजने की धमकी दी। महिला ने एक बार आत्महत्या की कोशिश भी की थी। पति ने कहा कि यह हिंदू मैरिज एक्ट के तहत निर्दयता है। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि पेश किए गए सबूतों से साफ है कि आरोप सही हैं। इसके बाद उच्च न्यायालय ने परिवार न्यायालय के तलाक के आदेश को बरकरार रखा।
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